कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर विरोध जताया है. कहा है कि केंद्र ने राज्य सरकार से सलाह किये बिना सार्वजनिक क्षेत्र के दो ऐसे बैंकों के विलय का एकतरफा फैसला किया, जिनके मुख्यालय कोलकाता में हैं. इस फैसले पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि विलय और बैंकों के मुख्यालय स्थानांतरित होने की आशंका के चलते राज्य के विकास की गति बाधित होगी.
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में मोदी से बैंकों का विलय नहीं करने के लिए कहा. इन बैंकों के विलय की घोषणा 30 अगस्त को हुई थी. बनर्जी ने मोदी के लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मैं यह जानकर बेहद चिंतित हूं कि सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंक, जिनके मुख्यालय कोलकाता में हैं, उनका विलय उन बैंकों में किया जा रहा है, जिनके मुख्यालय दिल्ली और चेन्नई में हैं. ऐसा राज्य सरकार या इन दो बैंकों के प्रबंधन के साथ किसी सलाह-मशविरे के बिना किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय के एकतरफा निर्णय और मुख्यालयों के पश्चिम बंगाल से स्थानांतरित होने की आशंका के चलते राज्य के विकास की गति बाधित होगी. बनर्जी ने अपने पत्र में इन दोनों बैंकों के हजारों कर्मचारियों के भविष्य को लेकर अपनी चिंता भी जतायी. उन्होंने पत्र में मोदी को लिखा, ‘मैं आपसे दृढ़ता के साथ आग्रह करती हूं कि पीएनबी के साथ यूबीआइ का और इंडियन बैंक के साथ इलाहाबाद बैंक का विलय न किया जाये.’
भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 30 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का चार बैंकों में विलय करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुल संख्या 12 हो जायेगी, जबकि वर्ष 2017 में यह संख्या 27 थी. इसके तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक के साथ होगा. इस विलय के बाद बना बैंक देश में सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.