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पूजा कमेटियों पर बनाया जा रहा दबाव

कोलकाता : दुर्गापूजा का राजनीतिकरण करने के आरोप तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों पर लग रहे हैं. पहले से ही विभिन्न पूजा कमेटियों पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का दबदबा है. इस भीड़ में अपनी जगह बनाने के लिए भाजपा कवायद कर रही है. शुरुआती दौर में भाजपा कई जगहों पर सफल भी रही, लेकिन […]

कोलकाता : दुर्गापूजा का राजनीतिकरण करने के आरोप तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों पर लग रहे हैं. पहले से ही विभिन्न पूजा कमेटियों पर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का दबदबा है. इस भीड़ में अपनी जगह बनाने के लिए भाजपा कवायद कर रही है.

शुरुआती दौर में भाजपा कई जगहों पर सफल भी रही, लेकिन भाजपा को एक इंच जगह छोड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस तैयार नहीं है. इसलिए एक के बाद एक पूजा कमेटियां भाजपा के हाथ से खिसकती जा रही हैं. बावजूद इसके भाजपा कई जगहों पर भीड़ में अपनी पहचान बनाने में जुटी हुई है. शुरुआत में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका ममता बनर्जी के मुहल्ले में दिया था.
जहां पर कालीघाट के संघश्री की ओर से आयोजित होनेवाली दुर्गा पूजा का उद्घाटन पिछली बार खुद ममता बनर्जी ने किया था. भाजपा ने यहां सेंधमारी करते हुए इस बार यहां की पूजा को अपने पाले में कर लिया था. यह खबर फैल गयी थी कि संघश्री की हरा रंग अब गेरुआ में तब्दील हो गया है. इस बार इसका उद्घाटन भाजपा अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह के करने की बात थी.
क्लब की ओर से भाजपा महासचिव सायंतन बसु को पूजा कमेटी का अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव भी दिया गया था. इस प्रस्ताव को लेकर क्लब के अंदर जबरदस्त विवाद भी हुआ था. विवाद की वजह से अंत में पूजा कमेटी के सचिव अनिरुद्ध चक्रवर्ती ने इस्तीफा दे दिया. भाजपा के बाहर होते ही तृणमूल कांग्रेस ने इस पूजा कमेटी को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया.
संघश्री की ओर से पिछली बार दिसंबर में ही एलान कर दिया गया था कि क्लब अपने 74वें साल में कट्टम कुट्टी आधारित थीम पर पूजा आयोजित करेगी, लेकिन अचानक कट्टमकुट्टी को स्थगित करके नया थीम सबसे ऊपर इंसान सत्य है को कर दिया गया. इस थीम के सूत्रधार थे प्रदीप्त कर्मकार. उन्होंने अपना काम शुरू भी कर दिया था.
प्रदीप्त ने मूर्तिकार परिमल पाल को प्रतिमा की डिजाइन भी दे दी थी. कुछ दिन पहले क्लब के सचिव देवाशीष बंद्योपाध्याय ने मूर्तिकार को मूर्ति की डिजाइन भी बदलने को कह दिया था. पहले तय हुआ था कि कमल के फूल में दुर्गा की खड़ी प्रतिमा होगी, लेकिन डिजाइन बदलने को लेकर प्रदीप्त कर्मकार के साथ मतभेद होने के कारण उन्होंने खुद को अलग कर लिया.
इस बाबत प्रदीप्त का कहना है कि पूजा कमेटी का बजट कम होने के कारण वह खुद को अलग कर लिये हैं.
सिर्फ इतना ही नहीं, कई पूजा कमेटियां ऐसी हैं, जो बदले राजनीतिक माहौल के कारण भाजपा के करीब चली गयी थीं. इसको लेकर भाजपा काफी उत्साहित थीं, लेकिन धीरे-धीरे फिर से उन कमेटियों पर तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व होते जा रहा है. इस सिलसिले में भाजपा के प्रदेश महासचिव संजय सिंह का कहना है कि राज्य में ममता बनर्जी ने आतंक का माहौल बना दिया है.
उनके आतंक से कोई क्षेत्र अछूता नहीं है. पूजा कमेटियां इसका अपवाद नहीं हो सकतीं. पुलिस व प्रशासन की मदद से वह पूजा कमेटियों पर दबाव बना रही हैं. लोगों को पहले तो अनुमति खारिज करने का डर दिखाया जा रहा है.
इसके साथ आयोजकों को कहा जा रहा है अगर वह लोग उनके साथ नहीं आये तो जबरिया चंदा वसूली के केस में फंसा दिया जायेगा. एक नहीं कई पूजा कमेटियां ऐसी हैं, जहां पर इस तरह का दबाव बनाया गया है. बावजूद इसके इस बार भाजपा के नेता सैकड़ों पूजा कमेटियों से जुड़े हैं और उनके केंद्रीय नेता उन पूजा पंडालों का उद्घाटन करेंगे.

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