कोलकाता: काउसिंल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-सेंट्रल मेकानिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआइआर-सीएमइआरआइ) दुर्गापुर, ने पानी को परिष्कृत कर उसे पेयजल के तौर पर इस्तेमाल के लिए कई तकनीक विकसित की है. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर(डॉ) हरीश हिरानी ने इसकी जानकारी दी.
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कोलकाता: एसआइआर-सीएमइआरआइ की परिष्कृत पेयजल के लिए सस्ती तकनीक
कोलकाता: काउसिंल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-सेंट्रल मेकानिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआइआर-सीएमइआरआइ) दुर्गापुर, ने पानी को परिष्कृत कर उसे पेयजल के तौर पर इस्तेमाल के लिए कई तकनीक विकसित की है. संस्थान के निदेशक प्रोफेसर(डॉ) हरीश हिरानी ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पानी की कमी को लेकर अब जाकर जागरूकता देखी जा रही […]
उन्होंने बताया कि पानी की कमी को लेकर अब जाकर जागरूकता देखी जा रही है लेकिन सतर्कता 10-15 वर्ष पहले ही अपनायी जानी चाहिए थी. मौजूदा जल में भी कई अशुद्धियां पायी जाती हैं. इनमें लोहा, आर्सेनिक और फ्लोराइड शामिल हैं. इन्हें अगर पानी से साफ कर दिया जाये तो वह पीने योग्य बन सकता है. हालांकि ऐसा देखा जाता है कि इसकी तकनीकी प्राय: महंगी होती है.
लेकिन सीएसआइआर-सीएमइआरआइ, दुर्गापुर ने ऐसी कई तकनीक विकसित की है जिससे पानी को परिष्कृत करने का खर्च बेहद कम आता है. इसमें प्रति लीटर का खर्च महज दो से तीन पैसे ही आता है. उनकी तकनीक का स्थानांतरण मंगलवार को दो कंपनियों को किया गया. इनमें सर्वो टेक्नोलॉजिस, हरियाणा और आइएसडब्ल्यू, हावड़ा शामिल हैं. श्री हिरानी ने बताया कि अपनी तकनीक के संबंध में वह विभिन्न राज्य सरकारों को भी सूचित करेंगे.
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