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अनुमति नहीं मिलने पर भी होगी रथयात्रा : दिलीप

कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रशासन पर असहयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय नेतृत्व की मौजूदगी में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत भाजपा बंगाल में तीन जगहों से रथयात्रा निकालेगी. अगर इसको रोकने का प्रयास हुआ तो हमलोग उसका मुकाबला करेंगे और उस दौरान स्थिति बिगड़ी तो जिम्मेवारी […]

कोलकाता : प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने प्रशासन पर असहयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्रीय नेतृत्व की मौजूदगी में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत भाजपा बंगाल में तीन जगहों से रथयात्रा निकालेगी. अगर इसको रोकने का प्रयास हुआ तो हमलोग उसका मुकाबला करेंगे और उस दौरान स्थिति बिगड़ी तो जिम्मेवारी राज्य सरकारर की होगी.
प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्री घोष ने कहा कि हमलोग रथयात्रा की अनुमति के लिए पत्र दे रहे हैं. अगर इसमें बाधा आयी तो कानून का रास्ता खुला है.
उल्लेखनीय है कि तीन, पांच और सात दिसंबर को राज्य में तीन जगह से रथयात्रा निकाली जायेगी. इसकी शुरुआत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह तीन दिसंबर को करेंगे. लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए रविवार को मुख्तार अब्बास नकवी बंगाल आ रहे हैं. यहां पर वह प्रदेश के नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव व रथयात्रा की तैयारी का जायजा लेंगे और आगे की रणनीति बनायेंगे.
जबकि 29 ल 30 सितंबर को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा पार्टी के मीडिया सेल के लोगों के साथ बैठक करेंगे. वह लोगों को चुनाव के ठीक पहले कैसे प्रचार करें इसकी जानकारी देंगे. इसके लिए बकायदा एक कार्यशाला का भी आयोजन किया जायेगा.
संवाददाता सम्मेलन में दिलीप घोष ने राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के माझेरहाट पुल का दौरा करने की घटना पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि वह अभियंता हैं. अगर राज्य सरकार वाकई इस मुद्दे पर गंभीर है तो वह विशेषज्ञों की एक टीम बनाये, जो विभिन्न पुलों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट दे. उस पर अमल किया जाये और उसकी व्यवस्था लेने की जरूरत है.’
उन्होंने इस्लामपुर की घटना को गंभीर बताते हुए कहा कि आज लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में दहशत महसूस करते हैं. उनका बच्चा सुरक्षित वापस लौटेगा या नहीं इस बात की कोई गांरटी नहीं है. जिस तरह दो छात्रों की मौत हुई है. उसकी जांच सीबीआई से कराने की जरूरत है, क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार पूरी तरह शामिल है.
उसकी लापरवाही और तुष्टीकरण की राजनीति के कारण ही उत्तर दिनाजपुर में इस तरह की घटना घटी. रहा सवाल इसमें एबीवीपी के शामिल होने का तो जो छात्र मारे गये हैं वह उसी स्कूल के पूर्व छात्र और छात्र नेता हैं. अगर वह कोई गलत काम करते हैं तो कानून के मुताबिक उन पर कार्रवाई करनी चाहिए, न कि उन पर गोलियां बरसानी चाहिए.

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