बताया जाता है कि एक दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने गुजरात में पाटीदार अनामत (कोटा) आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवानी से टेलीफोन पर बात की थी. तृणमूल नेता ने कहा, मुझे इस बात को लेकर हैरानी नहीं है कि देश भर से नेता ममता से दिशानिर्देश पाने के लिए और उनके अनुभव से सीख लेने के लिए उनके पास पहुंच रहे हैं, क्योंकि ममता बनर्जी विरोध की आवाज के रूप में आज की तारीख की सबसे मजबूत हस्ताक्षर हैं.
वह 2019 में भाजपा से लोहा लेने के लिए सबसे ज्यादा विश्वसनीय नेतृत्व बन गयी हैं. पटेल और मेवानी के अलावा ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर ने भी गुजरात विधानसभा चुनाव में एक अहम भूमिका निभायी. उन्होंने राज्य में 22 साल से सत्ता में रहने वाली भाजपा को कड़ी टक्कर दिया है. ब्रायन के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस प्रमुख इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि यदि भाजपा विरोधी सभी ताकतें एकजुट हो गई तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी को हार का सामना करना पड सकता है.
उन्होंने कहा, उनका (ममता का) अनुभव, पिछला रिकार्ड, पिछले चार दशकों से जन आंदोलनों में भूमिका, कैबिनेट मंत्री के तौर पर अनुभव और पिछले साल मिली शानदार जीत ( पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में) ने उन्हें भाजपा का मुकाबला करने के लिए सबसे ज्यादा विश्वसनीय चेहरा बनाया है. इसके अलावा नोटबंदी और जीएसटी के साथ एफआरडीआई का सबसे पहले विरोध करने वाली ममता बनर्जी ही है. जिन्होने सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा के खिलाफ जारी अपनी मुहिम को अभी से बरकरार रखा है.