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खटाल को तोड़ने आये निगम अधिकारियों को अदालती आदेश पर लौटना पड़ा वापस

खटाल में रहने वाले 29 परिवारों के लोग पिछले कई दशकों से यहां अपना घर बना चुके हैं.

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रानीगंज. पीएन मालिया रोड पर स्थित एक खटाल को लेकर 80 वर्षों से चला आ रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. इस खटाल में रहने वाले लगभग 300 लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. जमीन के मालिकों द्वारा दायर मुकदमे में अदालत ने आसनसोल नगर निगम को खटाल खाली कराने का आदेश दिया है. हालांकि शुक्रवार को बुलडोजर लेकर आये नगर निगम के अधिकारियों को ऐन मौके पर हाइकोर्ट के स्टे आर्डर के बाद बैरंग वापस लौटना पड़ा. खटाल में रहने वाले 29 परिवारों के लोग पिछले कई दशकों से यहां अपना घर बना चुके हैं. अचानक से उन्हें उजाड़ने का आदेश मिलने से वे बेहद परेशान हैं.

उनका कहना है कि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है. उनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था की जाये. खटाल के मालिक सुरजन यादव ने बताया कि उनके दादा के जमाने से इस खटाल में उनका परिवार रह रहा है. यहां कुल 34 कट्ठा जमीन है. जिसमें 26 कट्ठा जमीन हिंद कल्याण समिति की है. यह जमीन देशवाली समाज के कल्याण के लिए ली गयी थी. वर्षों पूर्व तक इस जमीन पर रहने के लिए वे किराया भी देते आये थे. रानीगंज नगर पालिका द्वारा उन्हें टैक्स की रसीद भी दी जाती थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से नगर निगम टैक्सनहीं ले रही है. वहीं जो व्यक्ति उनसे किराया लिया करते थे उनका निधन होचुका है. उनकी रोजी रोटी इसी स्थान से चलती है. अब नगर निगम का कहना है कि उनके द्वारा यहां प्रदूषण फैलता है. छह माह पूर्व भी नगर निगम के अधिकारी नोटिस देकर गये थे. बीते तीन दिन पूर्व भी 29 लोगों को यह जगह खाली करने नोटिस दिया गया. उन्होंने कहा कि उन्हें भी निगम ट्रेड लाइसेंस दे. ताकि उन्हें बेघर न होना पड़े.

जमीन के मालिकों का पक्ष

हिंद कल्याण समिति के अध्यक्ष शिव प्रकाश साव का कहना है कि यह जमीन 1962 में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोगों के लिए धर्मशाला बनाने के लिए आवंटित की गयी थी. लेकिन कुछ लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया है. इस जमीन को खाली कराने के लिए नगर निगम, जिला शासक तथा कई विभागों में आवेदन करने के पश्चात अंततः कब्जा की गयी जमीन को खाली करने की चेष्टा आसनसोल नगर निगम द्वारा की जा रही है. ताकि जमीन खाली होने पर देशवाली समाज के कल्याण के लिए धर्मशाला का निर्माण हो सके. वहीं जमीन के एक हिस्सेदार राजेश गनेड़ीवाला का कहना है कि अदालत का आदेश मानना होगा, लेकिन खटाल के लोगों के पुनर्वास के बारे में भी सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन लोगों को इस तरह से बेघर नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आरके श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत से स्टे मिलने के कारण फिलहाल खाली कराने की प्रक्रिया रुक गयी है. इधर अदालत से तीन महीने की मोहलत मिलने पर खटाल के लोग खुश हैं. उनका कहना है कि वे जमीन के मालिकों से बातचीत करके कोई समाधान निकालने की कोशिश करेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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