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आर्य समाज की जमीन बेचने के आरोपों का किया पुरजोर खंडन

पार्षद का आरोप था कि विद्यालय की जमीन बेची जा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि उक्त जमीन पर विद्यालय का निर्माण नहीं हो सकता है.

पार्षद ने लगाया है आरोप, बेची गयी समाज की जमीन व किया गया भ्रष्टाचार

आर्य समाज के सचिव जगदीश केडिया ने दी नसीहत, अपने गिरेबान में झांकें पार्षद

आसनसोल. सोमवार को एक पार्षद ने आर्य कन्या विद्यालय की दीवार पर ‘यह जमीन बिकाऊ नहीं’ की इबारत लिख कर कुछ देर तक विरोध प्रदर्शन किया. उसके बाद स्कूल के एक शिक्षक उस विज्ञापन को मिटाने पहुंच गये, तो पार्षद ने उनका घेराव कर प्रतिवाद जताया. इन आरोपों पर मंगलवार को आर्य समाज के तीनों विद्यालयों के सचिव जगदीश प्रसाद केडिया ने मीडिया के सामने आकर सफाई दी और जमीन बेचने व इसमें भ्रष्टाचार के पार्षद के आरोपों का पुरजोर खंडन किया. बुधा स्थित डीएवी स्कूल परिसर में संवाददाताओं को सचिव ने वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि बीते दिनों तरी मोहल्ला स्थित आर्य कन्या विद्यालय की चारदीवारी पर उक्त इबारत लिख कर पार्षद ने विरोध जताया था. उसके बाद विद्यालय प्रतिनिधि जब उसे मिटाने पहुंचे, तो उनका घेराव कर प्रदर्शन किया गया. पार्षद का आरोप था कि विद्यालय की जमीन बेची जा रही है. जबकि सच्चाई यह है कि उक्त जमीन पर विद्यालय का निर्माण नहीं हो सकता है. इसलिए आर्य समाज की स्कूल प्रबंधक कमेटी ने उक्त जमीन केा बेचने का निर्णय लिया था. उन्होंने स्पष्ट किया कि जमीन बेचकर संग्रहित धनराशि मुर्गाशोल स्थित आरा डांगा आर्य कन्या विद्यालय के विकास मद में खर्च होगा. यहां पांच करोड़ के लागत से नये भवन का निर्माण किया जा रहा है. जिसमें लगभग 4000 छात्राओं के अध्ययन की व्यवस्था होगी. इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि यह शैक्षणिक हित में उठाया गया कदम है. श्री केडिया ने पलटवार करते हुए कहा कि जो पार्षद आज भ्रष्टाचार की बातें कर रहे हैं. वे स्वयं और उनके गुरु लंबे समय से भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं. उनके गुरु ने भ्रष्टाचार से लगभग हजार करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है. भले ही वर्तमान में वे सत्ता दल में न हों, लेकिन उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किसी पर उंगली उठाने से पहले व्यक्ति को अपने गिरेबान में झांकना चाहिये. नियुक्ति घोटाले के आरोपों पर भी उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद आर्य समाज के तीनों विद्यालयों में नियुक्तियों को लेकर गहन जांच की गयी. जांच समिति ने सभी दस्तावेजों की जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रही और किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुयी है. केडिया ने इसे अपने लिए लाभकारी बताया. क्योंकि आरोपों के बाद उन्हें ‘क्लीन चिट’ मिल गया. उन्होंने कहा कि यह जांच निष्कर्ष यह साबित करता है कि उन्होंने किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार नहीं किया है और उनकी कार्यप्रणाली पारदर्शी और नियमानुसार चल रही है.

उन्होंने फिर दोहराया कि उनका उद्देश्य आर्य समाज के विद्यालयों का विकास और छात्राओं को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना है.

साथ ही उन्होंने पार्षद से आग्रह किया कि वे बिना तथ्यों की जानकारी के भ्रामक प्रचार और आरोप लगाने से बचें. उनके अनुसार, शिक्षा के क्षेत्र में राजनीति और व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित आरोपों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

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