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फ्लाई ऐश की ट्रांसपोर्टिंग को रोकेंगे लोग, बंद कंटेनर में ले जाने की मांग

आंदोलन. फ्लाई ऐश के परिवहन को लेकर डिशेरगढ़ में पथावरोध

हाइवा में फ्लाई ऐश ले जाने पर स्थानीय लोगों की हालत है काफी खराब, जिसे लेकर दी है प्रशासन को चेतावनी आसनसोल/कुल्टी. पुरुलिया जिला में स्थित एक पावर प्लांट के ऐशपॉन्ड से हाइवा वाहनों में लाये जाने वाले फ्लाई ऐश से हो रहे प्रदूषण को लेकर कुल्टी थाना क्षेत्र के डिशेरगढ़ पोस्टऑफिस के समक्ष स्थानीय लोगों ने रविवार दोपहर को पथावरोध किया. आंदोलन में शामिल स्थानीय देबदुलाल बनर्जी, मनीष बर्नवाल, शिवदास बाउरी, आकाश चौहान, सोमेंदु खवास, अमित मुखर्जी ने बताया कि पुरुलिया से फ्लाई ऐश लेकर बड़े-बड़े वाहन डिशेरगढ़ से पश्चिम बर्दवान जिले में प्रवेश करते हैं और सांकतोड़िया, शीतलपुर, राधानगर, नियामतपुर होकर एनएच-19 से विभिन्न जगहों पर जाते हैं, कुछ वाहन रूपनारायणपुर होकर झारखंड में भी जाते हैं. राख लदे इन वाहनों से इलाके में जो प्रदूषण फैल रहा है, उससे इस सड़क पर आवागमन करनेवाले यात्रियों के साथ यहां रहनेवाले हजारों की संख्या में लोग त्रस्त हैं. इन वाहनों के चलने से राख सड़क पर गिरते हुई जाती है. यह राख चौबीसों घंटे इलाके को प्रदूषित कर रही है. कोई भी वाहन सड़क से गुजरने पर यह राख चारों ओर फैलती है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है. प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि सभी को अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर बाध्य होकर लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा. दोपहर 12 बजे से दो बजे तक सड़क अवरोध कर आंदोलन चला. पुलिस के हस्तक्षेप से आंदोलन समाप्त हुआ. लोगों ने कहा कि बंद कंटेनर में फ्लाई ऐश ले जाना होगा, अन्यथा हर फ्लाई ऐश की गाड़ी को रोक दिया जायेगा. गौरतलब है कि थर्मल पावरप्लांट में कोयले के जलने से यह राख बनता है, जिसे ऐशपॉन्ड में डाल दिया जाता है. इस राख का उपयोग ब्रिक्स बनाने में होता है, इसके लिए ड्राई ऐश लगता है. ऐशपॉन्ड की राख सड़क निर्माण में लैंड फिलिंग के काम में उपयोग होती है. पुरुलिया जिला में स्थित एक थर्मल पावर प्लांट के ऐशपॉन्ड में जमी राख को पिछले कुछ महीनों से निकाल कर ले जाया जा रहा है, इससे इलाके में खूब धूल उड़ती है. हालत यह रहती है कि सड़क पर 20 फीट से ज्यादा की दृश्यता नहीं होती. सड़क पर खुले में गुजरने पर कपड़ा तुरंत धोने की नौबत आ जाती है. स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा समस्या का सामना करना पड़ रहा है. आंदोलन कर रहे लोगों ने बताया कि यह सड़क भारी वाहनों के लिए नहीं है, सड़क की चौड़ाई भी उतनी नहीं है. इसके बावजूद 30 से 50 टन वजन लेकर वाहनें चलते हैं. सड़क की हालत जर्जर है और धूल से सभी परेशान है. कई लोग बीमार पड़े हैं. पुलिस ने आश्वासन दिया है कि वे इस मुद्दे को उच्च अधिकारियों तक पहुंचायेंगे. इस दौरान हाइवा से राख का परिवहन नहीं होने दिया जायेगा. यदि नहीं मानते हैं तो फिर बड़ा आंदोलन होगा.

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