आसनसोल. राज्य के श्रम, विधि व न्याय मंत्री मलय घटक ने कहा कि बिना पूर्व सूचना के डीवीसी द्वारा अपने बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ने से निचले इलाके में जो भी नुकसान हो रहा है, उसका हर्जाना प्रबंधन को चुकाना होगा. डीवीसी प्रबंधन का कहना है कि पानी यदि 72 घंटा तक जमा रहे तो ही नुकसान का हर्जाना देने का प्रावधान है. इस नियम में बदलाव की मांग की गयी है, क्योंकि पानी कुछ ही घंटे में तबाही मचा कर निकल जाती है. ऐसे में डीवीसी के पानी से जो भी नुकसान होगा, उसका आंकलन करके हर्जाने के भुगतान करना होगा. डीवीसी के बांध जब से बना है, उसके बाद से उसकी ड्रेजिंग नहीं की गयी है. जिससे बांधों में जल धारण की क्षमता 35 से 40 फीसदी कम हो गयी है. जिसके कारण दो घंटे के बारिश में ही पानी उफान पर होता है और आनन-फानन में पानी छोड़ना होता है, जिसका खामियाजा बंगाल की जनता को उठाना पड़ता है. शुक्रवार को डीवीसी के पंचेत कार्यालय के समक्ष तृणमूल के प्रदर्शन कार्यक्रम में मंत्री श्री घटक ने ये बातें कही. मौके पर जामुड़िया के विधायक हरेराम सिंह, आसनसोल नगर निगम के उपमेयर वसीमुल हक सहित भारी संख्या में तृणमूल के नेता और कार्यकर्ता उपस्थित थे. मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल डीवीसी प्रबंधन को ज्ञापन भी सौंपा. डीवीसी पंचेत परियोजना के प्रमुख अभय श्रीवास्तव ने कहा कि बांधों से पानी छोड़ने का निर्णय केंद्रीय जल आयोग के एडवाइस पर लिया जाता है. जिसकी सूचना संबंधित सभी को छह घंटा पहले दे दी जाती है. 23 हजार क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ने पर राज्य सरकारों को इसकी सूचना दी जाती है. गौरतलब है डीवीसी के मैथन और पंचेत डैम से पानी छोड़ने को लेकर राज्य सरकार के साथ केंद्र का विवाद लंबे समय से चल रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित राज्य के नेता व मंत्री हमेशा ही आरोप लगाते हैं कि डीवीसी प्रबंधन केंद्र के इशारे पर बिना पूर्व सूचना के ही अतिरिक्त पानी बांधों से छोड़ता है, जिसके कारण निचले हिस्से में हर साल बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. जिससे भारी तबाही होती है. इस मुद्दे पर डीवीसी प्रबंधन को घेरने को लेकर मंत्री मलय घटक के नेतृत्व में डीवीसी के मैथन और पंचेत कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम हुआ. मंगलवार को मैथन कार्यालय और शुक्रवार को पंचेत कार्यालय पर यह कार्यक्रम हुआ. मंत्री श्री घटक ने कहा कि जबतक डीवीसी प्रबंधन अपनी इन हरकतों से बाज नहीं आयेगा, इस प्रकार का धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम जारी रहेगा.
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