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पूर्व रेलवे : आसनसोल मंडल में समपार की जगह बनेंगे एलएचएस

सुरक्षा व परिचालन दक्षता को बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे के चल रहे प्रयासों के अहम हिस्से के रूप में पूर्व रेलवे के आसनसेल मंडल में लेवल क्रॉसिंग(एलसी) फाटकों को सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) और भूमिगत सड़क पुल (रोड अंडरब्रिज/आरयूबी) से प्रतिस्थापित किया जा रहा है.

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आसनसोल.

सुरक्षा व परिचालन दक्षता को बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे के चल रहे प्रयासों के अहम हिस्से के रूप में पूर्व रेलवे के आसनसेल मंडल में लेवल क्रॉसिंग(एलसी) फाटकों को सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) और भूमिगत सड़क पुल (रोड अंडरब्रिज/आरयूबी) से प्रतिस्थापित किया जा रहा है. इस पहल का उद्देश्य दुर्घटना के जोखिमों को समाप्त करना, रेल और सड़क दोनों उपयोगकर्ताओं को हो रही देरी को कम करना और निर्बाध संपर्क (कनेक्टिविटी) उपलब्ध करना है. आसनसोल मंडल में सभी एलसी गेटों को सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) या भूमिगत सड़क पुल (रोड अंडर ब्रिज/आरयूबी) के साथ प्रतिस्थापित करने के लिए लक्षित किया गया है. 04 समपार फाटकों (एलसी गेटों) को पहले ही इस वित्तीय वर्ष में सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) द्वारा बदल दिया गया है और सार्वजनिक उपयोग के लिए चालू कर दिया गया है, जबकि शेष समपार फाटकों को हटाने की दिशा में काम प्रगति पर है. कोई भी समपार फाटक (एलसी गेट) एक ऐसा खास स्थान है जहां एक रेलवे ट्रैक एक ही भू-सतह पर किसी सड़क या रास्ते को काटते हुए मिलते हैं और जिससे वाहनों और पैदल यात्रियों को पार करने की अनुमति मिलती है. इन लेवल क्रॉसिंगों को संचालित किया जा सकता है, जहां रेलवे कर्मी गेट का संचालन करते हैं, या मानव रहित, जहाँ सड़क उपयोगकर्ताओं को अपने जोखिम पर पार करते है. हालांकि, लेवल क्रॉसिंग, विशेष रूप से मानव रहित एससी गेट, खतरों का कारण बनते हैं और लगातार ट्रेन संचालन के रास्ते में देरी का कारण बनते हैं. इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए, भारतीय रेलवे द्वारा लेवल क्रॉसिंग गेटों को सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) या भूमिगत सड़क पुल (रोड अंडर ब्रिज/आरयूबी), जो वस्तुत: रेलवे पटरियों के नीचे निर्मित भूमिगत सड़क मार्ग (अंडरपास) हैं, से बदला जा रहा है. इससे वाहनों और पैदल यात्रियों के आवागमन को सुरक्षित रूप से और बिना रुकावट आवागमन की सुविधा मिलती है. एलएचएस या आरयूबी के साथ एलसी गेट्स के प्रतिस्थापन से जनता के लिए कई लाभ मिलते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं के जोखिम को समाप्त करता है, जो अक्सर मानवीय त्रुटि, वाहन के अचानक अचल हो जाने (स्टॉलिंग), या नजदीक आ गयी ट्रेन से पहले जल्दी से गेट पार करने के प्रयास करने के कारण होता है. इसके अतिरिक्त, सड़क और रेल यातायात दोनों की आवाजाही सहज हो जाती है, क्योंकि वाहनों को अब ट्रेन के पास होने पर रुकने की आवश्यकता नहीं होती है. यह भीड़ और यात्रा में देरी को कम करता है, समग्र कनेक्टिविटी में सुधार करता है और लोगों की आवाजाही में लगनेवाले अनावश्यक समय को बर्बाद होने से बचाता है. सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) या भूमिगत सड़क पुल (आरयूबी) संरचनाएं सभी प्रकार के मौसमी विषमताओं में आवाजाही को सुगम बनाती है. इसके कारण वाहनों को गेट बंद होने या प्रतिकूल मौसम की स्थिति से प्रभावित हुए बिना निर्बाध रूप से परिवहन करने की सुविधा मिलती है. इसके अलावा, मैनुअल गेट संचालन के उन्मूलन के साथ, रेलवे क्रॉसिंग यात्रियों के लिए ये अधिक दक्षतापूर्ण और सुरक्षित सिद्ध होते हैं. आसनसोल मंडल में, चार समपार फाटकों को हाल ही में सीमित ऊंचाई वाले सबवे (एलएचएस) से बदल दिया गया है और सार्वजनिक उपयोग के लिए चालू कर दिया गया है. इनमें बासुकीनाथ-दुमका सेक्शन में समपार फाटक (एलसी गेट) नंबर 18 शामिल हैं, जो बासुकीनाथ-दुमका सेक्शन में झरपुरा-सिलंडा रोड को जोड़ता है, एलसी गेट नंबर 19 जो कि हतियापाथर-बाबुपुर रोड को जोड़ता है. जसीडीह-तुलसीटाँड़ सेक्शन का एलसी गेट नंबर 31 जो गंजोरा रोड को जोड़ता है, और तुलसीटाँड़-लाहाबन सेक्शन में एलसी गेट नंबर 33 लाहाबन रोड को जोड़ता है. इन सबवे के कारण कनेक्टिविटी में काफी सुधार हुआ है और सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतीक्षा समय में कमी आयी है.

एलएचएस या आरयूबी की निर्माण द्वारा एलसी गेटों का प्रतिस्थापन रेल परिचालन में सुधार एवं सड़क उपयोगकर्त्ताओं को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करते हुए आम जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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