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बच्चों को शारीरिक सजा देने वाले शिक्षकों की अब खैर नहीं

स्कूल के कोड ऑफ कंडक्ट में कारपोरल पनिशमेंट को शामिल किया आसनसोल : स्कूल परिसर में किसी भी विद्यार्थी को शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक पनिशमेंट देने वाले शिक्षकों की अब खैर नहीं है. ऐसा करने वाले शिक्षकों को तीन वर्ष के लिये सस्पेंड होना पड़ेगा. काउंसिल फॉर दी इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (आइसीएसइ) ने कारपोरल […]

स्कूल के कोड ऑफ कंडक्ट में कारपोरल पनिशमेंट को शामिल किया
आसनसोल : स्कूल परिसर में किसी भी विद्यार्थी को शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक पनिशमेंट देने वाले शिक्षकों की अब खैर नहीं है. ऐसा करने वाले शिक्षकों को तीन वर्ष के लिये सस्पेंड होना पड़ेगा.
काउंसिल फॉर दी इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (आइसीएसइ) ने कारपोरल पनिशमेंट पर कड़ा फैसला लेते हुए विद्यालयों को निर्देश दिया है कि यदि किसी स्कूल में कारपोरल पनिशमेंट की शिकायत आती है,तो ऐसे में स्कूल के टीचर को तीन साल तक स्कूल से बाहर किया जा सकता है.
यदि जांच में स्कूल के प्रिंसिपल दोषी पाये गये, तो उन्हें भी अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है. बोर्ड ने यह निर्देश तमाम स्कूलों को भेज दिया है. उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन मंत्रलय ने सभी बोर्ड को शिक्षा के अधिकार कानून को सख्त करने के लिये कहा है. इसे लेकर आइसीएसइ बोर्ड ने शिक्षक और प्राचार्य को सजा देने का प्रावधान बनाया है.
हर तीन में से दो स्कूलों में सजा
चिल्ड्रेन एब्यूज इन इंडिया रिपोर्ट, 2007 के मुताबिक देश भर में हर तीन विद्यालयों में से दो स्कूलों में एक बच्चे को सजा दी जाती है. कारपोरल पनिशमेंट में प्राथमिक और उच्च कक्षाओं के विद्यार्थी अधिक शामिल है. छह राज्यों में किये गये एक सर्वे के अनुसार बच्चों को जातिगत भेदभाव के आधार पर भी शारीरिक सजा दी जाती है. इसके अलावा स्कूल में अर्थ, सामाजिक और धर्म के आधार पर भी बच्चों को सजा दी जाती है.
बच्चों को दी खुलकर बोलने की सलाह
आइसीएसइ बोर्ड ने बच्चों को खुलकर बोलने की सलाह दी है. विद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि शिक्षक यदि किसी बच्चे को सजा दे रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को खुल कर बोलने की सलाह दी जाये. कई बार ऐसा होता है कि शिक्षक बच्चे को डरा-धमका कर चुप रहने का दबाव बनाते हैं. ऐसे में बच्च विद्यालय जाने से कतराने लगता है.
ये हैं कारपोरल पनिशमेंट
– शारीरिक प्रताड़ना, त्न मानसिक प्रताड़ना, त्न बेइज्जती करना, त्न दबाव डालना, – आर्थिक दंड,
– शैक्षणिक प्रताड़ना
ऐसी हो विद्यालय प्रबंधन की भूमिका
– प्रत्येक शिक्षक को हो शिक्षा के अधिकार की जानकारी
– विद्यालय प्रबंधन बोर्ड की गाइड लाइन से हर स्टाफ को अवगत कराये
– प्रबंधन को इसकी पूरी जानकारी हो कि बच्चों के साथ उसका व्यवहार कैसा हो
– लिंग, जाति, वर्ग, अक्षमता के नाम पर किसी बच्चे को सजा नहीं दी जा सकती
– कसी बच्चे को डराया, धमकाया, बेइज्जत या उस पर दबाव नहीं डाला जा सकता
– बच्चे को स्कूल परिसर में सुरक्षित महसूस कराना बेहद जरूरी है.
कारपोरल पनिशमेंट को लेकर बोर्ड की ओर से निर्देश दिया गया है. इसकी जानकारी तमाम टीचर्स को भी दे दी गयी है. वैसे यह नियम पहले से भी स्कूल में लागू था, लेकिन आरटीइ के तहत इस तरह के कड़े नियम पहली बार लागू किया गया है. इससे काफी फायदा मिलेगा.
बी. साह, प्रिंसिपल, एजी चर्च हाईस्कूल

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