बांकुड़ा : मकर संक्रांति के मौके पर बांकुड़ा के विभिन्न बाजारों में घेवर की मांग देखी जा रही है. खासकर मारवाड़ी समुदाय में इसकी मांग देखी जा रही है. मकर संक्रांति पर स्वादिष्ट पकवान घेवर की जरूरत होती है एवं अन्य कार्यक्रमों में भी इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन मकर संक्रांति पर घेवर बनने का अलग महत्व है साथ ही तिल के लड्डू व तिलकुट का भी विशेष महत्व है.
कहा जाता है कि वैसे तो घेवर पूरे भारत वर्ष में खाया जाता है लेकिन किंतु राजस्थान में घेवर बहुत मशहूर है. राजस्थान में घेवर का क्रेज जितना है, उतना और कहीं नही है. आज बाँकुड़ा शहर के विभिन्न मिठाई दुकानों में घेवर की तैयारी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. शहर का हरेश्वर मेला, कुचकुचिया रोड हो या नूतनगंज, अधिकतर मिठाई दुकानों में विभिन्न आकार के घेवर बनाये जा रहे हैं.
इस बारे में कुचकुचिया रोड स्थित मिठाई व्यवसायी पलटन हलवाई का कहना कि प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में दो-तीन सप्ताह से ही घेवर बनाने का काम शुरू हो जाता है. आज मारवाड़ी समुदाय के साथ-साथ बंगाली समुदाय के लोगों में भी घेवर की मांग बढ़ी है.