गोपालपुर की हाजरा परिवार की पारिवारिक दुर्गापूजा की है विशिष्टता
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शहनाई की धुन देती थी पूर्व सूचना दुर्गापूजा की
गोपालपुर की हाजरा परिवार की पारिवारिक दुर्गापूजा की है विशिष्टता परिवार की पूर्वज राजकुमारी देवी ने की थी इसकी शुरुआत 1919 में पानागढ़ : कांकसा ब्लॉक अंतर्गत गोपालपुर की हाजरा परिवार की पारिवारिक दुर्गापूजा सौवें वर्ष आयोजित हो रही है. पारंपरिक तरीके से इसका आयोजन होता है. स्थानीय ग्रामीण भी इसमें सहयोग करते हैं. यह […]
परिवार की पूर्वज राजकुमारी देवी ने की थी इसकी शुरुआत 1919 में
पानागढ़ : कांकसा ब्लॉक अंतर्गत गोपालपुर की हाजरा परिवार की पारिवारिक दुर्गापूजा सौवें वर्ष आयोजित हो रही है. पारंपरिक तरीके से इसका आयोजन होता है. स्थानीय ग्रामीण भी इसमें सहयोग करते हैं.
यह पूजा परिवार की मुखिया राजकुमारी देवी ने शुरू की थी. लोककथा है कि राजकुमारी संध्या में पुश्तैनी मंदिर में संध्या आरती करने गई तो हाथ में मौजूद दीपक अचानक आई तेज आंधी के कारण बुझ गया. इसे अशुभ संकेत समझ कर वह भयभीत हो गई. जब वह मंदिर की तरफ बढ़ने लगी तो मंदिर के भीतर से तीव्र रोशनी नजर आई. वह इस रोशनी को देख आश्चर्यचकित रह गई. वह संध्या आरती कर अपने घर लौट गयी. उसी रात स्वप्न में मां दुर्गा ने राजकुमारी को प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने का निर्देश दिया.
इसके बाद उन्होंने इसकी शुरूआत की. इसके बाद दुर्गा पूजा पारंपरिक रूप से हो रही है. पहले मंदिर मिट्टी गारे से बनाया गया था. परिवार के सदस्य लालबिहारी हाजरा आसनसोल अदालत में अधिवक्ता थे. वर्ष 1919 में लाल बिहारी भी मां की आराधना में जुट गये तथा भव्य मंदिर का निर्माण कराया. हाजरा परिवार की दुर्गापूजा की विशिष्टता यह है कि पूजा के पहले शहनाई बजाने की परंपरा है. शहनाई की आवाज सुनकर दुर्गापूजा गांव में शुरू हो जाती थी.
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