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टमाटर की बढ़ती कीमत ने सब्जियों का स्वाद किया फीका
दुर्गापुर : बारिश का मौसम आते ही सब्जियों की आवक कम होने से कीमत आसमान छूने लगी है. शिल्पांचल के बाजारों मे टमाटर के भाव में सर्वाधिक उछाल आयी है. लगभग हर सब्जी में इस्तेमाल होने वाला टमाटर इन दिनों महंगाई के रंग से लाल होता जा रहा है. एक बार फिर टमाटर के दाम […]
दुर्गापुर : बारिश का मौसम आते ही सब्जियों की आवक कम होने से कीमत आसमान छूने लगी है. शिल्पांचल के बाजारों मे टमाटर के भाव में सर्वाधिक उछाल आयी है. लगभग हर सब्जी में इस्तेमाल होने वाला टमाटर इन दिनों महंगाई के रंग से लाल होता जा रहा है. एक बार फिर टमाटर के दाम आसमान छूने लगे हैं.
शिल्पांचल दुर्गापुर व इसके आसपास के इलाके की मंडियो में करीब 10 से 15 रूपये किलो बिकने वाले टमाटर की कीमत 40 रूपए किलो तक पहुंच गयी है. अन्य सब्जियों के दामों में भी 20 से 30 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हो गया है.
पिछले साल भी बढ़े थे दाम
पिछले साल टमाटर के दाम ने सियासी गलियारों में भूचाल मचा दिया था क्योंकि बाजार में टमाटर की कीमत 100 रुपये किलो तक पहुंच गयी थी. इसके बाद लोगों ने सरकार को कोसना शुरू कर दिया था. शहर के बेनाचिती के घोष मार्केट के थोक सब्जी मंडी में टमाटर के दाम 40 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं. करीब 3 हफ्ते पहले यही टमाटर 10 से 15 रुपये किलो तक बिक रहा था.
घोष मार्केट के सब्जी के विक्रेता संतोष साव, राजेश साव ने कहा कि आने वाले दो महीने तक सब्जियों की कीमत में इसी तरह की बढ़ोतरी देखने को मिलती रहेगी. उनका कहना है कि मानसून के कारण टमाटर की आवक में कमी आई है. इस कारण दाम बढ़ रहे है.
डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं आने से दामों में इजाफा देखने को मिला है. इनमें सबसे ज्यादा असर टमाटर के दामों पर पड़ा है. थोक में 30-40 रुपये किलो मिल रहा टमाटर रिटेल में 50 रुपये किलो तक मिल रहा है. कई जगह क्वालिटी के हिसाब से गली-मोहल्ले में टमाटर के दाम 50 से भी ऊपर पहुंच गये हैं.
क्या कहना है गृहिणियों का
घर की रसोई चलाने वाली गृहिणी रेखा देवी, राधा सिंह ने कहा कि इस समय रसोई चलाना बेहद मुश्किल हो रहा है. टमाटर लगभग हर सब्जी में इस्तेमाल होता है और उसी से सब्जी में रंग आता है. लेकिन इस समय टमाटर खरीदना काफी मुश्किल हो गया है. टमाटर के अलावा दूसरी सब्जियों के रेट में भी 30 से 40 फीसदी का इजाफा हुआ है. इससे रसोई में कंप्रोमाइज करने की नौबत आ गई है. जो सब्जी पहले एक किलो लेते थे, फिलहाल आधा किलो ही लेनी पड़ रही है. पूरा बजट बिगड़ गया है.
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