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क्रेडिट लेने की होड़ से नहीं हो सका समझौता
कोयला कर्मियों का वेतन समझौता. प्रबंधन में खींचतान, वित्त अधिकारियों में अनुभव की कमी जेबीसीसीआइ की त्रिदिवसीय बैठक विफल हो जाने के बाद यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रबंधन को निशाने पर ले रखा है. उनका आरोप है कि प्रबंधन प्रतिनिधियों की खींचातानी से बैठक अपने मुकान पर नहीं पहुंच सकी. अब उन्होंने 29 फीसदी से कम […]
कोयला कर्मियों का वेतन समझौता. प्रबंधन में खींचतान, वित्त अधिकारियों में अनुभव की कमी
जेबीसीसीआइ की त्रिदिवसीय बैठक विफल हो जाने के बाद यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रबंधन को निशाने पर ले रखा है. उनका आरोप है कि प्रबंधन प्रतिनिधियों की खींचातानी से बैठक अपने मुकान पर नहीं पहुंच सकी. अब उन्होंने 29 फीसदी से कम पर कोई वातचीत नहीं करने का निर्णय लिया है.
आसनसोल : हिंद मजदूर सभा के जेबीसीसीआइ सदस्य नाथूलाल पांडेय तथा एसके पांडेय ने कहा कि जेबीसीसीआई की त्रिदिवसीय बैठक के दौरान प्रबंधन प्रतिनिधियों में क्रेडिट लेने की होड़ मची थी. इस कारण रांची में कोयला कर्मियों का वेतन समझौता नहीं हो सका. असल में प्रबंधन में खुद ही काफी खींचतान है.
वर्त्तमान चेयरमैन सुतीर्थ भट्टाचार्या इसी माह सेवानिवृत्त होनेवाले हैं. कुछ को चेयरमैन बनना है. वित्त विभाग के अधिकारियों में अनुभव की कमी है. ठीक से हिसाब नहीं आता है. इस तरह के कई कारण रहे, जिसके कारण कोयलाकर्मियों के लिए रांची ऐतिहासिक पल का गवाह नहीं बन सका.
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि एक बार तो प्रबंधन केटेगरी – एक का वेतन 39 हजार बना कर ले आया, इसे यूनियन प्रतिनिधियों ने अप्रासंगिक बताया. वार्ता के दौरान जब खर्च आकलन करने को कहा जाता था, तो घंटों लग जाता था. वार्ता के दौरान लंच से पहले सब कुछ ठीक था.
लग रहा था कि वेतन समझौते के ड्रॉफ्ट पर हस्ताक्षर हो जायेगा. लंच के बाद प्रबंधन ने वर्किग ग्रुप बना दिया. ग्रुप की रिपोर्ट लेकर प्रबंधन प्रतिनिधि संध्या साढ़े सात बजे वातचीत के लिए अयो. इसमें कहा गया कि अगली बैठक 24 अगस्त को होगी. यूनियन प्रतिनिधियों ने जानना चाहा कि क्या प्रबंधन 21 फीसदी वेतन वृद्धि देनेपर सहमत है. इसका प्रबंधन ने कोई स्पष्ट जबाब नहीं दिया. काफी पूछने पर प्रबंधन ने कहा कि अभी इस पर कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि करीब 3.75 लाख कोयला कर्मियों की नजर यूनियन प्रतिनिधियों पर टिकी हैं. जब प्रबंधन ने कोई स्पष्ट जबाब नहीं दिया तो दिल्ली में यूनियन प्रतिनिधि 25 फीसदी और चार फीसदी विशेष भत्ते से नीचे बात नहीं करेंगे. सभी यूनियन प्रतिनिधि इस मुद्दे पर एकमत हैं.
यूनियन नेताओं ने कहा कि कंपनी के पास पैसे की कमी नहीं है. कोल इंडिया के पास करीब 66 हजार करोड़ रूपये रिजर्ब मनी के रूप में था. इसमें 41 हजार करोड़ रूपये केंद्र सरकार को डिविडेंट के रूप में दिया गया. आठ हजार करोड़ रूपये निजी लोगों को डिविडेंट दिया गया. यह कंपनी की मूर्खतापूर्ण कार्रवाई थी.
इसके बावजूद कंपनी के पास पैसे की कमी नहीं है. तुछ कंपनियां घाटे में जरूर हैं. लेकिन अनोवाले समय में ये कंपनियां अपने घाटे से उबर जायेंगी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों का 15 फीसदी वृद्धि होने से 16 हजार रूपये पानेवाले 40 हजार रूपये तक पहुंच गये.कर्मचारी 20 फीसदी की वृद्धि के बाद भी 15 हजार से 26 हजार रूपये तक पहुंचेगा.
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