10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोलकाता : कछुआ तस्करी का हब बनता जा रहा है बंगाल

अमित शर्मा, कोलकाता : पश्चिम बंगाल कछुओं की तस्करी का जैसे हब बनता जा रहा है, जिसके तार उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से होते हुए बांग्लादेश तक जुड़े हुए हैं. सूत्रों के अनुसार, मालदा और मुर्शिदाबाद स्थित भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में कछुओं की तस्करी के कई मामले सामने आये हैं. इसी रास्ते कछुओं […]

अमित शर्मा, कोलकाता : पश्चिम बंगाल कछुओं की तस्करी का जैसे हब बनता जा रहा है, जिसके तार उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से होते हुए बांग्लादेश तक जुड़े हुए हैं. सूत्रों के अनुसार, मालदा और मुर्शिदाबाद स्थित भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में कछुओं की तस्करी के कई मामले सामने आये हैं. इसी रास्ते कछुओं को बांग्लादेश भेजने के दौरान कुछ तस्कर भी गिरफ्तार किये गये.बांग्लादेशी तस्करों के बीच भारत की विभिन्न प्रजातियों के कछुओं की विशेष मांग है क्योंकि इनसे उन्हें करीब सात-आठ गुना फायदा हो जाता है.

कछुओं की हड्डी और खोल की अधिक है मांग : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) साउथ बंगाल फ्रंटियर के एक अधिकारी का कहना है कि कछुए के खोल की मांग सबसे ज्यादा होती है. इसकी वजह है कि इससे दवा बनायी जाती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक किलो सूखे कछुए की कीमत 120-160 डॉलर तक है.
जानकारों का कहना है कि बांग्लादेश और एशिया के अन्य देशों में भारत की विभिन्न प्रजाति के कछुओं से बनी दवा के अलावा सूप और चिप्स की भी काफी मांग है. भारत में कछुओं की करीब 28 प्रजातियां हैं. जिसमें स्पोडिड पोंड टर्टल जैसे दुर्लभ जाति के कछुए भी पाये जाते हैं. बांग्लादेश व एशिया के अन्य देशों में भारत के निलसोनिया, गैंगटिस, चित्रा, इंडिका, सुंदरी प्रजाति के कछुओं की मांग ज्यादा है. इन प्रजाति के कछुए मांसाहारी होते हैं.
इनके निचले हिस्से में रीच प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है. ऐसे कछुओं की स्किन को उबाल को प्रोटीन बनाया जाता है, जिसका इस्तेमाल सूप के तौर पर किया जाता है. सूत्रों के अनुसार, प्रति किलोग्राम सूप की कीमत भी काफी ज्यादा होती है. कछुए के निचली सहत को अलग करके कई घंटों तक पानी में उबालने के बाद इसकी परत को सूखाकर चिप्स बनाया जाता है.
भारत में पांच हजार रुपये प्रति किलो बिकनेवाले कछुए के चिप्स देश के बाहर जाते ही इसकी कीमत 20 हजार रुपये और उससे ज्यादा हो जाती है. बीएसएफ अधिकारी के अनुसार विभिन्न अभियानों के दौरान जब्त किये जानेवाले कछुओं, उनकी हड्डी व खोल को कस्टम विभाग या वन विभाग के अधिकारियों के हवाले कर दिया जाता है. इसके अलावा पकड़े गये तस्करों को स्थानीय पुलिस के हवाले किया जाता है.
बांग्लादेश से अन्य देशों में पहुंचाये जाते हैं कछुए : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश लाये जानेवाले कछुओं को चीन व साउथ एशिया के कई देशों में भी भेजा जाता है. गत वर्ष जून महीने में बैंकाक के कई हिस्सों से कस्टम विभाग ने कछुओं से भरे कई सूटकेस जब्त किये थे. आरोप था कि वे बांग्लादेश से लाये गये थे.
बांग्लादेश के वन संरक्षण अधिकारी एमएसए चौधरी का कहना है कि प्रमुख तौर पर भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों में कछुओं की तस्करी की कुछ घटनाएं सामने आयी हैं. कछुओं समेत अन्य कुछ वन्य जीवों की तस्करी की रोकथाम के लिये बांग्लादेश की ओर से अपने स्तर पर कार्य किया जा रहा है.
कछुए बेचना कानूनन अपराध : राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक एवं संरक्षण समितियों ने तेजी से खत्म हो रही कछुओं की कई प्रजातियों को रेड लिस्ट व वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की सूची में शामिल किया है. वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 में भारतीय जीव-जंतुओं की तस्करी, उन्हें बेचना और रखना अपराध है. इसी तरह ‘द कॉन्वेंशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ऑफ इनडेंजर स्पीशीज ऑफ फोना एंड फ्लोरा’ समझौते के तहत भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध तरीके से किसी जीव-जंतु की खरीद-फरोख्त पर रोक है.
कुछ अभियान
20 अप्रैल, 2018 को देहरादून से हावड़ा जा रही दून एक्सप्रेस से आरपीएफ ने तस्करी कर ले जाये जा रहे 141 कछुए जब्त किये, एक गिरफ्तार
1 मई, 2018 को मालदा से बीएसएफ ने 60 किलोग्राम कछुओं की हड्डियों समेत तीन लोगों को पकड़ा.
1 मई, 2018 को कालियाचक थाना इलाका स्थित एक मकान में छापेमारी कर 41.5 किलोग्राम कछुओं की हड्डियां जब्त की गयीं
20 मई, 2018 को हुगली के एक रेलवे स्टेशन से 42 दुर्लभ कछुए जब्त, एक गिरफ्तार
23 दिसंबर, 2018 को 21 बोरे में कछुओं को भर कर ट्रक से मैनपुरी से पश्चिम बंगाल ले जाने के दौरान दो तस्कर गिरफ्तार
7 जनवरी, 2019 को मालदा टाउन स्टेशन पर आरपीएफ ने दिल्ली-मालदा एक्सप्रेस से 550 कछुए के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें