Mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुम्भ में आस्था और आर्थिकी का संगम देखने को मिला. समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े वंचित समाज ने भी इसका फायदा उठाया. इससे उनके जीवन में सुधार देखने को मिल रहा है. नदियों में नाव चलाने वाला नाविक समाज को महाकुम्भ से लाभ पहुंचा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया. प्रयागराज के संगम तट पर 45 दिन चले महाकुम्भ 2025 में करोड़ों श्रृद्धालुओं ने स्नान किया.
महाकुम्भ ने भर दी नाविक समाज की झोली
प्रयागराज नाविक संघ के अध्यक्ष पप्पू लाल निषाद के अनुसार, महाकुम्भ में इस बार डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने नावों के माध्यम से त्रिवेणी में स्नान किया. इसके लिए चप्पू वाली 4500 से अधिक नाव चौबीस घंटे चलती रही. एक नाव के संचालन में कम से कम तीन नाव चलाने वाले नाविक लगते हैं. इस तरह 13 हजार से अधिक नाविकों की झोली महाकुम्भ ने भर दी. हर नाविक यहां से 8 से 9 लाख की कमाई लेकर गया. इसी आमदनी से अब बहुत से नाविक नए व्यवसाय को शुरू करने की योजना बना रहे हैं.
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बेटी के हाथ पीले करने से लेकर आशियाने का सपना हुआ पूरा
किला घाट पर नाव चलाने वाले संजीत कुमार निषाद बताते हैं कि घर में दो बड़ी लड़कियां हैं. इनकी शादी के लिए कब से जतन कर रहे थे, लेकिन आर्थिक स्थिति आड़े आ जा रही थी. गंगा मैया की ऐसी कृपा बरसी की महाकुम्भ में नाव चलाकर इतना मिल गया कि अब बिटिया के हाथ भी पीले हो जाएंगे. हमारी समाज में इज्जत भी बनी रहेगी. तीन दशक से बलवंत निषाद की जिंदगी बलुआ घाट और किला घाट के बीच चप्पू चलाते निकल गई लेकिन सर पर पक्की छत नहीं हो पाई थी. इस बार महा कुम्भ में त्रिवेणी मां का ऐसा आशीष मिला कि अब पक्का घर भी बनेगा और नई नाव भी आएगी.