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UP News: उद्यान विभाग का पोर्टल लांच, किसानों को माइक्रो सिंचाई प्रणाली पर मिलेगा बीमा लाभ

उद्यान विभाग ने सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने के लिए आईटी आधारित उन्नत पोर्टल www.upmip.in लांच किया है. इसके माध्यम से प्राकृतिक आपदा, चोरी एवं आग दुर्घटना होने पर ड्रिप, मिनी और माइक्रो सिंचाई प्रणाली पर बीमा का लाभ सहित कई सुविधाएं मिलेंगी.

लखनऊ: यूपी के किसानों को मिनी व माइक्रो इरीगेशन (सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली) की सुविधा पर अब बीमा का लाभ मिलेगा. इस पोर्टल की शुरुआत यूपी सरकार ने कर दी है. उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार तथा कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने उद्यान भवन परिसर लखनऊ में ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप-माइक्रो इरीगेशन’ योजना के अंतर्गत www.upmip.in पोर्टल का शुभारंभ किया.

उद्यान मंत्री दिनेश सिंह ने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई पद्धति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये डेडिकेटेड उत्तर प्रदेश माइक्रो इरीगेशन प्रोजेक्ट का पोर्टल शुरू किया गया है. किसानों की मददगार डबल इंजन सरकार द्वारा निरंतर किसान हित में प्रयास किए जा रहे हैं. इस योजना के क्रियान्वयन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के किसान हितैषी मुख्यमंत्री की अपेक्षानुसार हम किसानों की बेहतर सेवा कर पायेंगे.

उन्होंने कहा कि सिंचाई की यह पद्धति प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करेगी. पोर्टल का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड, भू-अभिलेख एवं बैंक खाता जरूरी है. कृषक किसी भी पंजीकृत फर्म से कार्य कराने के लिये स्वतंत्र हैं. लाभार्थी कृषक को अधिकतम 5 हेक्टेयर भूमि पर अनुदान अनुमन्य होगा, उसी भूमि पर 7 वर्ष बाद दोबारा योजना के लाभ की व्यवस्था भी है.

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उद्यान मंत्री ने कहा कि विशेषज्ञ अभियंता से सामग्री आगणन लेआउट/डिजाइन के तकनीकी परीक्षण की ऑनलाइन सुविधा ड्रिप/मिनी/माइक्रो स्प्रिंकलर के लाभार्थियों को निःशुल्क बीमा की सुविधा भी मिलेगी. ‘पर ड्राप मोर क्राप-माइक्रोइरीगेशन’ योजना उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में लागू है.

योजना के अंतर्गत बुंदेलखंड, विंध्य क्षेत्र, प्रदेश के अतिदोहित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल विकास खंड, 08 आकांक्षात्मक जिले, 100 आकांक्षात्मक विकास खंड, अटल भूजल के आच्छादित 10 जनपदों के 550 ग्राम पंचायत, 27 नमामि गंगे जनपद प्राथमिकता के क्षेत्र हैं. सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का आच्छादन बागवानी, कृषि एवं गन्ना फसल में सघनता से किया जा रहा है.

दिनेश सिंह ने कहा कि इस योजना में ड्रिप/मिनी/माइको स्प्रिंकलर पर लघु एवं सीमांत कृषकों को लागत का 90 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. अन्य कृषकों को 80 प्रतिशत अनुदान पोर्टेबल/ सेमी परमानेंट/रेनगन स्प्रिंकलर पर लघु एवं सीमांत कृषकों को लागत का 75 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 65 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा.

अनुमन्य अनुदान में उत्तर प्रदेश सरकार से वर्ष 2026-27 तक के लिए 20 से 35 प्रतिशत अतिरिक्त राज्यांश (टॉप अप) की सुविधा भी दी जाएगी. योजना का लाभ उठाने के लिए ऐसे किसान पात्र होंगे, जिनके पास सिंचाई के लिए पानी का स्रोत उपलब्ध हो, लाभार्थी अंश वहन करने में सक्षम हों. सहकारी समितियों के सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों, किसान उत्पादक संगठनों के सदस्यों से भी इसका लाभ लिया जा सकता है. संविदा खेती (कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग) (न्यूनतम 7 वर्षों के लीज एग्रीमेंट की भूमि) पर भी यह सुविधा उपलब्ध रहेगी. इसके साथ ही थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी से सत्यापन की व्यवस्था रहेगी.

उद्यान मंत्री ने कहा आधार लिंक्ड लाभार्थी कृषक, निर्माता फर्म अथवा ऋण खाते में अनुदान का अंतरण योजना के अंतर्गत 83 निर्माता फर्में चयनित हैं. प्रत्येक फर्म को 10-10 विकास खंड आवंटित किए गए हैं. किसानों को इस योजना का लाभ लेने के लिए www.uphorticulture.gov.in एवं www.upmip.in पर विजिट करना होगा. अधिक जानकारी के लिए जनपदीय उद्यान अधिकारी/मंडलीय उप निदेशक उद्यान से संपर्क किया जा सकता है.

कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव उद्यान मनोज कुमार सिंह ने कहा कि यह विभाग के लिए ऐतिहासिक दिन है. सिंचाई की इस नई तकनीक से किसानों के लाभ को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इसके विषय में किसानों के बीच जागरूकता और स्वीकार्यता को बढ़ाया जाए तो प्रदेश भर में सिंचाई के क्षेत्र में आगामी 06 माह में एक नई क्रांति की शुरूआत होगी.

जीजीआरसी के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. एवी वडावले ने बताया कि योजना के कुशल एवं पारदर्शी क्रियान्वयन के लिये भारत सरकार से निर्गत परामर्श के आलोक में गुजरात ग्रीन रिवोल्यूशन कम्पनी (जीजीआरसी) वडोदरा गुजरात के तकनीकी सहयोग से आईटी बेस्ड उत्तर प्रदेश माइक्रोइरीगेशन प्रोजेक्ट UPMIP पोर्टल विकसित किया गया है.

पोर्टल से मिलेंगी यह सुविधाएं

  • ऑनलाइन पंजीकरण

  • तकनीकी रूप से दक्ष ले-आउट/डिजाइन का अपडेशन

  • प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धांत पर केंद्रीकृत प्रणाली से स्वीकृति आदेश का निर्गमन

  • त्रि-पक्षीय अनुबंध

  • शत-प्रतिशत कृषक अंश का सिंगल सेंट्रल बैंक खाते में पेमेंट गेटवे के माध्यम से जमा करने की सुविधा

  • निर्धारित टाइम लाइन के अनुसार निर्माता फर्मों से कार्य पूर्ण करने की बाध्यता

  • स्वतंत्र रूप से चयनित थर्ड पार्टी इंपेक्शन एजेंसी से भौतिक कार्यों का शत-प्रतिशत सत्यापन

  • जियो फेंसिंग, आग, चोरी एवं प्राकृतिक आपदा से हुये क्षति का बीमा एवं कृषक की इच्छानुसार चयनित विकल्प के अनुसार लाभार्थी कृषक के आधार सीडेड बैंक खाते/निर्माता फर्म/ऋण खाते में अनुदान की राशि अंतरित किये जाने की व्यवस्था

उद्यान मंत्री ने बताया कि योजना के गुणात्मक क्रियान्वयन के लिये जनपदीय उद्यान अधिकारियों से भी रैंडम सत्यापन का कार्य किया जाएगा. नवविकसित आईटी बेस्ड पोर्टल में जनपदीय/मंडलीय अधिकारियों/मुख्यालय स्तर/शासन स्तर/भारत सरकार के स्तर पर ट्रैकिंग एवं अनुश्रवण की सुविधायें भी पोर्टल पर उपलब्ध होंगी.

कार्यक्रम में बालकृष्ण त्रिपाठी विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, डॉ. आरके तोमर निदेशक उद्यान, जीजीआरसी के डीआर जोशी डिप्टी मैनेजर, समीर पटेल सीनियर मैनेजर, उषा बरनपुरकर आईटी विशेषज्ञ, योगेश बंधु एवं विभाग के अधिकारीगण भौतिक एवं अन्य मंडलीय एवं जनपदीय अधिकारीगण वर्चुअल रूप से शामिल हुये. कार्यक्रम में टीपीआईए एवं चयनित निर्माता फर्मों के प्रतिनिधियों ने भी पारदर्शी क्रियान्वयन प्रक्रिया से परिचित हुये. इस दौरान उन्होंने दुबई के लिए निर्यात किये जा रहे आम के ट्रक को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

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