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जल निगम की लापरवाही से विश्व बैंक का पैसा

रामगढ़ : जल निगम की लापरवाही के कारण मझौंवा सहित क्षेत्र के डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में पानी टंकी का निर्माण निर्धारित समय के अंदर नहीं हो सका, जिसके चलते विश्व बैंक ने पैसा वापस ले लिया. मझौवां में काम शुरू होने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्ति […]

रामगढ़ : जल निगम की लापरवाही के कारण मझौंवा सहित क्षेत्र के डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में पानी टंकी का निर्माण निर्धारित समय के अंदर नहीं हो सका, जिसके चलते विश्व बैंक ने पैसा वापस ले लिया. मझौवां में काम शुरू होने के बाद लोगों को उम्मीद जगी थी कि आर्सेनिक युक्त पानी से मुक्ति मिल जायेगी, लेकिन अब तक उन्हें निराशा हाथ लगी है. ग्रामीणों का कहना है कि योजना को मंजूरी मिलने के बाद जल निगम में देर से काम शुरू कराया, जिसके कारण पैसा वापस हो गया.

नीर निर्मल योजना के तहत बैरिया विधानसभा के 18 ग्राम सभा में पानी टंकी का निर्माण होना था. इसके तहत आर्सेनिक प्रभावित ग्राम सभा मझौवा में भी पानी टंकी का निर्माण प्रस्तावित था. तय सीमा तक काम अपूर्ण होने के कारण विश्व बैंक ने अपना पैसा सरेंडर करा लिया. ग्रामीणों का कहना है कि 31 मार्च 2019 तक ही योजना पूरा करना था. नतीजा यह हुआ कि बरसों से आर्सेनिक मुक्त जल की आस लगाये बैठे मझौवां वासियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अब स्थिति यह है कि उन्हें मीठे जहर से ही अपना गला तर करना पड़ेगा.
पांच हजार की आबादी मुश्किल में : ग्राम सभा मझौवां की आबादी करीब 5000 है. लेकिन जल निगम के अधिकारियों की उदासीनता के कारण गंगा के कटान से विस्थापित होकर बंधे के उत्तर दिशा में बसे लोग शुद्ध जल के अभाव में दूषित पानी पी रहे हैं.
लोगों का कहना है कि करीब दो दशक से हमारे ग्राम सभा के भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्रा मानक से कई गुना अधिक है. लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते आज तक न तो पानी टंकी का ही निर्माण हो सका, न शासन-प्रशासन ने शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना मुनासिब समझा. इसको लेकर शासन-प्रशासन के साथ ही जल निगम के प्रति भी लोगों की खासी नाराजगी है.
नीर निर्मल योजना के तहत द्वाबा के 18 ग्रामसभा में आर्सेनिकमुक्त जल उपलब्ध कराने के लिए पानी टंकी का निर्माण कराना था. धन भी स्वीकृति हो गया था, टेंडर भी निकल गया था. लेकिन 31 मार्च 2019 तक कार्य पूर्ण न होने के कारण विश्वबैंक ने अपना पैसा सरेंडर कर लिया.
-विनोद सिंह, कांग्रेस नेता
अगर जल निगम ग्राम सभा में पानी टंकी निर्माण करा देता तो हो सकता कि आर्सेनिक से मुक्ति मिल जाती. लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते ग्राम सभा के लिए प्रस्तावित योजना अधूरी ही रह गयी.
-कमलेश कुमार, प्रधान प्रतिनिधि
कई बार गुहार के बाद भी जल निगम द्वारा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गयी है. नल से निकलने वाले पानी की हालात यह है कि स्नान करना व कपड़े धोना तो दूर, बर्तन धोने के बाद भी पीले पड़ जाते हैं.
-नवीन सिंह
करीब एक साल पहले जल निगम द्वारा पानी टंकी का निर्माण कराने के लिए गांव में सर्वे कराया गया. पानी टंकी का निर्माण शुरू भी हुआ. लेकिन शुरुआती दौर में ही किन्हीं कारणों से पानी टंकी का कार्य खटाई में पड़ गया.
-सोनू सिंह

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