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Sundergarh News: जनशक्ति विकास परिषद ने एमसीएल-छत्तीसगढ़ मार्ग किया अवरुद्ध, सैकड़ों भारी वाहन फंसे

Sundergarh News: बांकीबहाल-टपरिया मार्ग पर कोयला परिवहन के खिलाफ जनशक्ति विकास परिषद ने चक्का जाम आंदोलन किया. जिससे सैकड़ों भारी वाहन फंसे रहे.

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Sundergarh News: बांकीबहाल-टपरिया विशेष कोयला कॉरिडोर के निर्माण की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही जनशक्ति विकास परिषद ने गुरुवार सुबह से ही जुलुमबहाल चौक पर एमसीएल-छत्तीसगढ़ मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है. जिस कारण सड़क के दोनों ओर सैकड़ों कोयला लदे और खाली ट्रक खड़े हैं. इस संदर्भ में 21 मार्च को परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलापाल की अनुपस्थिति में अतिरिक्त जिलापाल रवि नारायण साहू को प्रभावित क्षेत्रों से 700 लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा था. इधर, हेमगीर तहसीलदार सारिका रानी धमेल ने मौके पर पहुंचकर आंदोलनकारियों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि जिलापाल फिलहाल नहीं है. उनके आने के बाद आपकी मांगों पर विचार किया जायेगा.

जिलापाल ने बांकीबहाल-टपरिया कोल कॉरिडोर निर्माण का प्रस्ताव लाने का किया था वादा

इससे पहले जिला मजिस्ट्रेट मनोज सत्यवान महाजन ने कहा था कि बांकीबहाल-टपरिया कोल कॉरिडोर के निर्माण के लिए प्रस्ताव लाया जायेगा. परिषद ने जिलापाल से इस प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग की है. इसी तरह परिषद ने मांग की है कि कोल कॉरिडोर पूरा होने तक बांकीबहाल-टपरिया सड़क पर कोयला परिवहन होने पर सुबह छह बजे से रात नौ बजे तक नो-एंट्री जोन घोषित किया जाये, एफएआरए सहायता राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये की जाये, पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के अनुसार ग्रामीण सड़कों से कोयला परिवहन पूरी तरह से बंद किया जाये तथा बीजीएमएस का पंजीकरण रद्द किया जाये.

एमसीएल को गांवों के बीच से कोयला परिवहन की नहीं है अनुमति

जनशक्ति विकास परिषद ने आरोप लगाया है कि पर्यावरण मंजूरी के तहत एमसीएल को स्पष्ट निर्देश हैं कि वह गांवों के बीच से कोयले का परिवहन न करे तथा इस उद्देश्य के लिए एक समर्पित गलियारा या बाईपास सड़क का निर्माण करे. इस मामले में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) ने एक नवंबर, 2019 को एक झूठी रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि एमसीएल गांव की सड़कों से बचते हुए बाईपास या विशेष गलियारों के माध्यम से कोयले का परिवहन कर रही है और पर्यावरण मंजूरी कानूनों का पालन कर रही है. इसके बाद, 5 दिसंबर, 2019 को आयोजित विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (इएपीसी) की बैठक में कुल्दा खदान के लिए 30 वर्ष या आजीवन विस्तार की सिफारिश की गयी. इसके आधार पर, एमओएफसीसी ने कुल्दा खदान को 30 वर्षों के लिए एमसीएल को हस्तांतरित कर दिया है. परिषद ने कहा है कि एमसीएल 25 वर्षों से गांव से गुजरने वाली लोक निर्माण विभाग की सड़क पर कोयला परिवहन कर रही है.

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