खरसावां.
खरसावां के खेलारीसाई में अगले डेढ़ से दो माह के भीतर हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट शुरू हो जाएगी. इसके लिए खेलारीसाई के बंद पड़े स्कूल भवन में सभी आवश्यक मशीनें स्थापित कर दी गई हैं और मशीनों का ट्रायल रन भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. इस परियोजना पर लगभग एक करोड़ रुपये की लागत आयी है, जिसे डीएमएफटी फंड से वित्तीय सहायता प्राप्त हो रही है.मई के दूसरे सप्ताह में बाजार में आएगी हल्दी
प्रोसेसिंग यूनिट में हल्दी की पिसाई से लेकर पैकेजिंग तक का कार्य किया जाएगा. मई माह के दूसरे सप्ताह तक ‘खरसावां हल्दी’ ब्रांड के तहत यह उत्पाद बाजार में उपलब्ध होगा. इसे देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचाने के साथ-साथ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर भी ऑनलाइन बिक्री की योजना बनायी जा रही है. इसके लिए ‘खरसावां हल्दी’ का ट्रेडमार्क, फूड सेफ्टी लाइसेंस और जीआइ टैग प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. आवश्यक लाइसेंस और प्रमाणपत्र मिलने के बाद इस उत्पाद को आधिकारिक रूप से बाजार में उतारा जाएगा.
किसानों और महिलाओं को मिलेगा लाभ
हल्दी प्रोसेसिंग यूनिट की शुरुआत से लगभग 800 हल्दी उत्पादक किसान और महिला समितियों को सीधा लाभ मिलेगा. इस यूनिट में हल्दी प्रोसेसिंग का कार्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाएगा. अब तक किसान हल्दी की गांठ से पाउडर बनाकर स्थानीय हाट-बाजारों में बेचते थे, लेकिन अब उन्हें अपनी उत्पादित हल्दी की प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म मिलेगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को भी रोजगार मिलेगा.
खरसावां-कुचाई क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होती है हल्दी की खेती
खरसावां के रायजेमा से लेकर कुचाई के गोमियाडीह तक पहाड़ियों की तलहटी में बसे गांवों में हल्दी की परंपरागत और जैविक खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां के आदिवासी समुदाय के लोग बिना रासायनिक उर्वरकों के प्राकृतिक तरीके से हल्दी का उत्पादन करते हैं. पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु हल्दी की खेती के लिए अनुकूल मानी जाती है. यहां लगभग 4 किलो हल्दी की गांठ से 1 किलो हल्दी पाउडर तैयार होता है. बाजार में हल्दी पाउडर की कीमत 250 से 300 रुपये प्रति किलो के आसपास है.खरसावां हल्दी की विशेषता
खरसावां के रायजेमा क्षेत्र की हल्दी की गुणवत्ता सरकारी फूड लैब में जांच करायी गयी, जिसमें यह सामान्य हल्दी से अधिक गुणकारी पायी गयी. आमतौर पर हल्दी में 2 से 3 प्रतिशत करक्यूमिन की मात्रा होती है, लेकिन रायजेमा की जैविक हल्दी में यह 6 से 7 प्रतिशत पायी गयी, जो इसे विशेष बनाती है। करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो दर्द से राहत देने, हृदय रोगों से सुरक्षा प्रदान करने और मधुमेह के उपचार में सहायक होता है. खरसावां की यह पहल क्षेत्रीय किसानों और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है