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डल झील की तरह उधवा पक्षी अभ्यारण्य का आनंद लेंगे सैलानी

उधवा झील के लिए तीन शिकारा की जल्द होगी खरीदारी, बोले डीएफओ

साहिबगंज. कश्मीर की डल झील की तरह उधवा में भी सैलानी शिकारा का आनंद उठा सकते हैं. डीएफओ प्रबल गर्ग ने बताया कि उधवा झील में तीन शिकारा आया है. जल्द ही और तीन शिकारा की खरीदारी होगी. उन्होंने बताया कि दो करोड़ 70 लाख की लागत से उधवा झील का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. उधवा झील से जलकुंभी हटाया जा रहा है, जिससे पानी का फ्लो ज्यादा हो. गाद हटाने के लिए विशेष कार्य हो रहा है. बर्ड वाईल्ड सर्वे चल रहा है. आधारभूत ढांचा निर्माण हो रहा है. दो करोड़ 70 लाख में से एक करोड़ की लागत से सुंदरफुलवाड़ी का भी निर्माण हो रहा है. जैविक खेती की ट्रेनिंग किसानों को दी जा रही है. ताकि रसायन जल को प्रदूषित नहीं कर आसपास के गांव व स्कूल में प्रवासी पक्षी को लेकर जागरूक व महत्व की जानकारी बच्चों व बड़े लोगों को दी जा रही है. डीएफओ प्रबल गर्ग ने कहा कि उधवा पक्षी अभ्यारण्य से अधिक से अधिक रोजगार का सृजन हो सके. स्थानीय लोगों के लिए जीविकोपार्जन का साधन बने. इस पर विभाग गंभीरता से चिंतन कर रहा है. इसी कड़ी में दूर-दराज से यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को पक्षी अभ्यारण्य घुमाने के लिए उपयोग होने वाले शिकारा से वहां के स्थानीय लोगों को जोड़ने की योजना विभाग तैयार कर वहां जल्द ही इसका क्रियान्वयन करेगी. इधर, शिकारा के बारे में का नाम आते ही दुल्हन की तरह सजा-संवार कर रखे जाने और दुनियाभर के सैलानियों को अपनी ओर लुभाने और झील का भ्रमण करने वाले शिकारा की तस्वीर जेहन में अनायास ही आ जाती है. यह शिकारा वहां के लोगों के लिए रोजी-रोटी का सबसे बड़ा साधन भी है. शिकारा और डल झील एक-दूसरे का पर्याय सा बन गया है. यही शिकारा उधवा के दर्जनों लोगों के लिए जीने का आधार भी बनेगा. दरअसल वन विभाग इस मामले में काफी गंभीर है. स्थानीय लोगों को उपलब्ध होगा रोजगार के साधन पक्षी अभ्यारण्य को रामसर साइट घोषित की जाने के बाद वहां स्थानीय लोगों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके. इस मंशा के तहत लगातार योजनाएं तैयार करने में जुटी है. कड़ी में पक्षी अभयारण्य में लोगों के लिए जल्द ही शिकारा के माध्यम से रोजगार के साधन विभाग की ओर से उपलब्ध कराने की योजना बनायी जा रही है. स्थानीय लोगों को पक्षी अभ्यारण में पर्यटकों के लिए शिकारा संचालन की अनुमति देने पर विचार हो रहा है. ताकि इसके माध्यम से वहां के स्थानीय लोग रोजगार से जुड़कर आर्थिक रूप से सक्षम हो सके. पक्षी अभयारण्य को संवारने का कार्य जल्द होगा शुरू रामसर साइट घोषित किए जाने के बाद इसकी पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन गयी है. देश-विदेश से सैलानियों के यहां पहुंचने की उम्मीद है. इसे देखते हुए विभाग की ओर से पक्षी अभ्यारण को एक अलग रूप देने के उद्देश्य से संवारने कार्य जल्द शुरू किया जायेगा. विभाग सरकार के स्तर पर मिलने वाले पांच करोड़ रुपये की फंडिंग लेने के लिए प्रक्रिया में लगी है. पहले चरण में लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से वह गेस्ट हाउस और बाउंड्री वॉल समेत अन्य सुविधाओं का विस्तार करने का कार्य जल्द शुरू योजना तैयार की जा रही है. झारखंड की शान बन चुके इस पक्षी अभ्यारण को संवारने और एक नयी पहचान देने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से भी डीपीआर तैयार की गयी है. दो दिवसीय दौरे पर 25 को आयेंगे आरसीसीएफ साहिबगंज. उधवा पक्षी अभ्यारण्य व फॉसिल्स पार्क का निरीक्षण करने के लिए दो दिवसीय दौरे पर आरसीसीएफ सतीश चंद्र राय आ रहे हैं. डीएफओ प्रबल गर्ग ने बताया कि दो दिनों तक दोनों स्थल पर चल रहे विकास कार्याें की समीक्षा करेंगे.

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