रामनगर पंचायत भवन में आयोजित संवाद में महिलाओं ने कहा अभिजीत कुमार, बरहरवा: मंगलवार को प्रखंड के रामनगर पंचायत भवन में प्रभात खबर द्वारा रामनगर संकुल की सखी मंडल की दीदियों के साथ महिला संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रभात खबर के बरहरवा प्रतिनिधि अभिजीत कुमार ने सभी महिलाओं का स्वागत किया और अध्यक्षता फूलमुनि टुडू ने की. संचालन जेएसएलपीएस के बीपीएम फैज आलम ने किया. सखी मंडल की दीदियों ने बताया कि जेएसएलपीएस से जुड़ने के बाद उन्हें समाज में पहचान और इज्जत मिली है. पहले जिन लोगों से ताना सुनना पड़ता था, अब वही लोग उन्हें सम्मान की नजर से देखते हैं. अब वे रोजगार के जरिए अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही हैं. उन्होंने बीड़ी बनाने का काम छोड़कर समूह से जुड़कर पुरुषों के साथ बराबरी में काम करना सीखा है और आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं. उन्होंने बाल विवाह को रोकने और सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने में भी योगदान दिया है. वे खेती, पशुपालन और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में महिलाओं को लगातार जागरूक कर रही हैं और ऋण के माध्यम से उन्हें आत्मनिर्भर बना रही हैं. जेएसएलपीएस की पीआरपी पुष्पा हेम्ब्रम ने बताया कि वे लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ की रहने वाली हैं और 2017 में जब उनकी पोस्टिंग बरहरवा प्रखंड में हुई, तब वहां कोई कार्यालय या बीपीएम नहीं था. उन्होंने अकेले पूरे प्रखंड के 29 पंचायतों का सर्वे कर पांच क्लस्टर में बांटा और जेएसएलपीएस की नींव रखी. आज रामनगर कलेक्टर क्लस्टर में 395 स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें करीब 4150 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. साथ ही 22 ग्राम संगठन और तीन उत्पादक समूह भी सक्रिय हैं. मौके पर सीसी विवेक माल, अंजना देवी, चंचला घोष, सफीना खातून, समीना खातून, पापड़ी कुमारी, माला कुमारी, आशा पाल, फूलमुनि टुडू, खुशबू कुमारी, शेफाली देवी, सीमा देवी सहित अन्य मौजूद थे. क्या कहती हैं सखी मंडल की दीदियां….. फोटो – 02, हर्षिना टुडु हम आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को जागरुक करते हैं कि उन्हें नियमित रूप से टीकाकरण करवाएं. गर्भवती महिलाओं को भी उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करते हैं. एसएचजी महिलाओं को अपने आसपास के क्षेत्र में साफ-सफाई रखने को लेकर जागरूक करती हैं. फ़ोटो – 03, रुपाली कुमारी ग्रामीण स्तर पर बच्चों के ऊपर हो रही हिंसा के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम करती है. अब तक उन्होंने घरेलू हिंसा के तीन मामलों का निपटारा भी कराया है. आज जेएसएलपीएस से न सिर्फ उन्हें मासिक आय हो रही है बल्कि सम्मान भी मिल रहा है. फोटो – 04, प्रियंका मंडल जेएसएलपीएस की डीआरपी के रूप में काम करने के साथ-साथ हुए महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं. सीएलएफ को भी प्रशिक्षित करती हैं. इसमें कई सारे काम किए जाते हैं. बदलाव मंच के जरिए सामाजिक स्तर पर बदलाव लाने में भी अपना सहयोग कर रही हैं. अभी वे उमंग परियोजना से जोड़कर किशोरी बालिकाओं पर फोकस कर रही है. फोटो – 05, ललिता देवी वे समूह से जुड़ने से पहले सिर्फ हाउसवाइफ ही थी. उन्होंने जेएसएलपीएस से ऋण लेकर अपने परिवार में सहयोग किया. आज वे 15 बीघा में सब्जी, धान, गेहूं इत्यादि फसल उगा रही है. इससे उन्हें प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से अधिक की आय हो रही है. इससे उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है. फोटो – 06, के एम काजल इन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की है. उन्हें घरेलू काम करने के अलावे कुछ नहीं आता था. लोग पढ़ी-लिखी गंवार कहते थे. हर चीज के लिए ताना मारा करते थे. वर्ष 2019 में समूह से जुड़ने के बाद वे धीरे-धीरे बैंक सखी बनी. बैंक सखी के रूप में काम कर आज उन्हें करीब 9 हजार प्रति महीने की आय हो रही है. अब घर के साथ-साथ गांव के लोग उन्हें ताना नहीं देते हैं. फोटो – 07, ब्यूटी घोष 2020 में समूह से जोड़ने के बाद उन्होंने ऋण लेकर मछली पालन का काम शुरू किया. वे अपनी परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ गांव में दिव्यांग जनों के पेंशन, वृद्ध जनों के पेंशन को स्वीकृत करने में उनका सहयोग करती है. वे गांव में लोगों को बाल विवाह के रोकथाम के प्रति भी जागरूक करने का काम कर रही है. फोटो – 08, बेबी मंडल वे पहले गांव की अन्य महिलाओं की तरह बीड़ी बनाने का काम किया करती थी. इससे उन्हें आय तो होती थी लेकिन जितना समय में बीड़ी बनाने में देती थी उतनी आय नहीं हो पाती थी. जिसके बाद वे जेएसएलपीएस से जुड़ी और उसके बाद आरसेटी से चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण किया. आज वे चूड़ी बनाकर 200 से 300 रुपए प्रति दिन कमा रही है. पहले बाहर निकलने में भी डर लगता था, आज निडर होकर सारे काम कर रही है. फोटो – 09, रिंकी कुमारी उन्होंने बताया कि वह हिंदी विषय से पीजी तक की पढ़ाई की है. उनके पति ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है और अशिक्षित होने के कारण उनके परिवार के लोग उन्हें बाहर नहीं निकलने देते थे और ताना दिया करते थे. शुरुआत में उन्होंने भी बीड़ी बनाने का काम तो शुरू की लेकिन उसमें मन नहीं लगा. उसके बाद वे जेएसएलपीएस से जुड़कर अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रही है. फ़ोटो – 10, मरियम खातून वर्ष 2018 में वे जैसलमेर से जुड़ी कुछ समय के बाद उन्होंने बैंक सखी के रूप में चुना गया उन्होंने B.Ed तक की पढ़ाई की है पहले 75 रुपए प्रतिदिन ही मिलता था लेकिन अब 125 रुपए प्रति दिन भी मिल जाता है. बैंक में विभिन्न कामों के जरिए उन्हें महीने में 9 हजार रुपये की मासिक आय हो रही है. आज उन्हें खुद पर गर्व हो रहा है. फोटो – 11, पिंकी देवी उन्होंने बताया कि उनके परिवार के लोग उन्हें घर के बाहर नहीं जाने दिया करते थे. किसी तरह वे समूह से जुड़ी. समूह में वे एफएलसी के पद पर काम कर रही हैं. समूह से जुड़ने से पहले उन्होंने कभी बैंक नहीं देखा था. समूह में जुड़ने के बाद ही उन्होंने बैंक देखा. वर्ष 2021 में उनके पति की मृत्यु हो गई. जेएसएलपीएस के जरिए बीमा करवाने पर उन्हें दो लाख रुपये की राशि भी मिली. आज वे अपना परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. फोटो – 12, पुष्पा हेम्ब्रम वर्ष 2017 में जेएसएलपीएस की पीआरपी के रूप में बरहरवा पोस्टिंग होने के बाद उन्होंने पूरे प्रखंड का सर्वे किया. 29 पंचायत में पांच क्लस्टर को बनाया. आज सखी मंडल की दीदियों को काम करते देख काफी अच्छा महसूस हो रहा है. फोटो – 13, प्रिया कुमारी वे अपने क्षेत्र के किसानों को खेती करने में जागरूक कर रही हैं. बटाई की खेती करने वाले कृषकों को सहयोग दिला रही है. उन्हें जेएसएलपीएस के जरिए निःशुल्क बीज भी उपलब्ध करवाती है. साथ ही पशुपालन करने वाले किसानों को भी समय-समय पर विभाग की योजनाओं से अवगत कराने का काम करती हैं.
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