उन्होंने बताया राजमहल के कटघर में पाये जाने वाले ग्रीन्स चावल, गेहूं, चूड़ा व दाल के रहस्य पर भी शोध कार्य किया जायेगा.
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राजमहल की पहाड़ियों में…
उन्होंने बताया राजमहल के कटघर में पाये जाने वाले ग्रीन्स चावल, गेहूं, चूड़ा व दाल के रहस्य पर भी शोध कार्य किया जायेगा. डायनासोर के भी यहां मौजूद होने के लगाये जा रहे कयास करोड़ों वर्ष पुराने हैं राजमहल के मुरलीपहाड़ के पत्थर : डॉ रंजीत तीनपहाड़ : पादप जीवाश्म या जन्तु जीवाश्म शोधकार्य हेेतु […]
डायनासोर के भी यहां मौजूद होने के लगाये जा रहे कयास
करोड़ों वर्ष पुराने हैं राजमहल के मुरलीपहाड़ के पत्थर : डॉ रंजीत
तीनपहाड़ : पादप जीवाश्म या जन्तु जीवाश्म शोधकार्य हेेतु तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के क्रम में साहिबगंज महाविद्यालय के भू-वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में कोलकाता विश्वविद्यालय के श्रीरामपुर महाविद्यालय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम गवर्नमेंट कॉलेज से आये प्रोफेसर व छात्र-छात्राओं ने राजमहल की पहाड़ियों व मुरलीपहाड़ का भ्रमण किया. डॉ. सिंह ने कहा कि मुरलीपहाड़ स्थित पत्थर जुरासिक काल का है.
यह लगभग करोड़ों साल पुराना है, जो पहली बार मुरली में ही पाया गया है. इससे पूर्व कहीं नहीं पाया गया है. कहा कि राजमहल की पहाड़ियों में अवस्थित जीवाश्मों की रक्षा के लिए गंभीर चिंतन की आवश्यकता है. मौके पर प्रांतीक हाजरा, पार्थो तालुकदार, शंकर ठाकुर सहित अन्य मौजूद थे.
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