उदासीनता जर्जर हो गया है भवन, खराब पड़ा है शौचालय
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श्रम नियोजनालय बेहाल, कैसे होगा युवाओं का कल्याण
उदासीनता जर्जर हो गया है भवन, खराब पड़ा है शौचालय सफाई कर्मी के नहीं रहने के कारण परिसर जंगली घासों से पट गया है. गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मेंटनेंस का फंड भी नहीं मिलता है. स्थिति ऐसी है कि शहर से यहां भटक कर भी कोई बेरोजगार नहीं आते हैं. पदाधिकारी दो जिला […]
सफाई कर्मी के नहीं रहने के कारण परिसर जंगली घासों से पट गया है. गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मेंटनेंस का फंड भी नहीं मिलता है. स्थिति ऐसी है कि शहर से यहां भटक कर भी कोई बेरोजगार नहीं आते हैं. पदाधिकारी दो जिला के प्रभार में है. निबंधन करानेवाले युवाओं का आंकड़ा भी कम होते जा
रहा है.
साहिबगंज : सफाई कर्मी के नहीं रहने के कारण परिसर जंगली घासों से पट गया है. गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मेंटनेंस का फंड भी नहीं मिलता है. स्थिति ऐसी है कि शहर से यहां भटक कर भी कोई बेरोजगार नहीं आते हैं. पदाधिकारी दो जिला के प्रभार में है. निबंधन करानेवाले युवाओं का आंकड़ा भी कम होते जा
रहा है.
युवाओं को रोजगार दिलाने के उदेश्य से जिस नियोजनालय विभाग का गठन किया था, वह आज खुद बेहाल है. जहां युवाओं का कल्याण होना चाहिए. वह खुद अपने कल्याण की बाट जोह रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं साहिबगंज-बोरियो रोड में आइटीआइ के पास स्थित श्रम नियोजनालय का. जहां कहने को तो स्थायी पदाधिकारी है, जो बेरोजगार, शिक्षित युवाओं को सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओ में रोजगार देते हैं. पर जहां कभी शिक्षिक युवाओं की भीड़ लगी होती थी. वहां आज कोई भटक कर भी नहीं आता है. अब यहां तभी युवा आते हैं, जब सरकार किसी बहाली में नियोजनालय का निबंधन अनिवार्य कर देती है. शहर से पांच किमी दूर अवस्थि इस नियोजनालय भवन का हाल जर्जर हो गया है. जिसे देखने वाला कोई नहीं है.
जिला नियोजन पदाधिकारी के रूप में अश्वनी कुमार सिंह पदस्थापित है. जिसे पाकुड़ जिला का भी अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है. उसी प्रकार प्रधान लिपिक रुद्र नारायण सिंह है, जो मूल रूप से पाकुड़ में पदस्थापित है. साहिबगंज में अतिरिक्त प्रभार के रूप में कार्यरत है. एक अनुसेवक विशो पासवान का स्थायी पदस्थापन है. जबकि अनुबंध पर एक कंप्यूटर ऑपरेटर को रखा गया है. शहर से दूर होने के कारण यह केवल ग्रामीण इलाकों से ही युवक अपना निबंधन कराने आते हैं. नियोजन पदाधिकारी अश्वनी कुमार बताते है कि 60-70 युवाओं का मासिक निबंधन हो जाता है.
अब हमलोग रोजगार मेला के माध्यम से ही युवाओं को रोजगार मुहैया कराते हैं. अब हमलोगों के पास दूसरे राज्यों या बड़ी-बड़ी कंपनी से कामगारों को नहीं मांगा जाता है. ऐसे में हमलोगों की मजबूरी हो जाती है कि रोजगार मेला लगाकर ही युवाओं को रोजगार दें. 2008 में नियोजनालय को शहर के बीच से स्थानांतरित कर इस भवन में लाया गया. जब शहर के बीच में श्रम नियोजनालय था. तब युवाओं की निबंधन की औसत काफी थी. फिलहाल इस भवन का भी हालत जर्जर है. कोई मेेंटनेंस का फंड नहीं है, सफाई कर्मी नहीं है. इस कारण चारों ओर गंदगी फैली रहती है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
कर्मी की कमी होने के कारण दिक्कत हो रही है. सरकार को पत्र लिखा गया है.
सीके सिंह, प्रभारी
श्रम नियोजन पदाधिकारी
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