रांची (बिपिन सिंह). झारखंड में 13 से 15 वर्ष के 5.1% किशोर किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, हालांकि, यह राष्ट्रीय औसत 8.5% से कम है. अंतिम सर्वे के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में 38.9% वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं, जो राष्ट्रीय औसत 28.6% से अधिक है. यह आंकड़े ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) के हैं, जो झारखंड के बारे में चिंता पैदा करते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो तंबाकू का सेवन युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है. तंबाकू सेवन से हृदय रोग, कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव वी हेकाली झिमोमी ने तंबाकू मुक्त युवा अभियान 2.0 के संबंध में झारखंड सरकार को पत्र लिखा है. इस अभियान के दौरान राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण के लिए पिछले साल 24 सितंबर से 23 नवंबर तक झारखंड में जागरूकता और इसके नियंत्रण के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये थे. अब इसकी समीक्षा के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 मई को नयी दिल्ली के मुनिरका में एक उच्चस्तरीय बैठक बुलायी है. बैठक का उद्देश्य राज्यों में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को तत्काल प्रभाव से लागू करना है.
तंबाकू मुक्त युवा अभियान 2.0 को मजबूती से लागू करने की तैयारी
झारखंड में तंबाकू मुक्त युवा अभियान 2.0 को लागू करने का मुख्य उद्देश्य कोटपा-2003 अधिनियम से संबंधित प्रावधानों को कड़ाई से लागू कर युवाओं को तंबाकू के सेवन से दूर रखना है. तंबाकू मुक्त युवा अभियान 2.0 के तहत झारखंड में कई शिक्षण संस्थानों को तंबाकू मुक्त घोषित किया गया है. इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को तंबाकू से होने वाले बीमारियों जैसे कैंसर, अस्थमा, लकवा, श्वांस संबंधित बीमारियों के बारे में जागरूक करते हुए इसके दुष्प्रभाव की जानकारी देना है.तंबाकू उत्पादों पर झारखंड में है प्रतिबंध
झारखंड सरकार ने गुटखा और पान मसाला के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भंडारण पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा रखा है. सरकार के इस प्रतिबंध के तहत गुटखा और पान मसाला का निर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण बंद है. सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा ने कहा कि झारखंड में तंबाकू सेवन की समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई प्रभावी कदम उठाये हैं, जिससे तंबाकू सेवन की दर में कमी आयी है. हालांकि, युवाओं में तंबाकू की लत अभी भी चिंता का विषय है. इसलिए, निरंतर जागरूकता अभियान, कड़े कानूनों का पालन और शिक्षण संस्थानों में तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों की आवश्यकता है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है