रांची (ब्यूरो प्रमुख). मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को सदन (विधानसभा) में कहा कि विस्थापित गांव, जिनकी जमीन अधिग्रहित कर ली गयी, लेकिन गांव बसे हुए हैं. ऐसी गांवों की समस्या गंभीर है. इनको बुनियादी सुविधा मिलनी चाहिए. सरकारी योजना का लाभ मिलना चाहिए. कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह द्वारा ध्यानाकर्षण के तहत मामला उठाये जाने पर हेमंत सोरेन सरकार का पक्ष रख रहे थे. सीएम ने कहा कि बोकारो स्टील हो, कोल इंडिया या पीएसयू कंपनियां बड़े पैमाने में जमीन अधिग्रहित की है. समय-समय पर बात आती है. पीएसयू और केंद्र सरकार से वार्ता के बाद तय होना चाहिए. सीएम ने कहा : सेल प्रबंधन से बात की जायेगी. सेल ने जमीन अधिग्रहित की है, तो सेल की जिम्मेवारी है कि मूलभूत सुविधाएं मिले. सेल अपने फंड से इसकी व्यवस्था करे. इन गांवों को बिजली, पानी, सड़क तो मिलनी ही चाहिए. इस अधिग्रहित क्षेत्र में कुछ गैर कानूनी ढंग से भी लोग बस गये हैं. सीएम ने बताया कि सेल के चेयरमेन से इस मुद्दे पर बात करेंगे.
50-60 हजार लोग जन्म-मृत्यु और चरित्र प्रमाण पत्र से वंचित
इससे पूर्व विधायक श्वेता सिंह ने कहा कि बोकारो की 50-60 हजार की आबादी विस्थापित गांव में रहती है. इनका जन्म-मृत्यु और चरित्र प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. इस मामले में कहा जाता है कि सेल एनओसी देगा, तभी बनेगा. यहां विधायक फंड से काम होता है, लेकिन प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. इन गांवों को पंचायती राज में शामिल किया जाये. ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री दीपिका पांडेय का कहना था कि जनता की भावना समझ रहे हैं.
रैयतों को वापस हो जमीनझामुमो विधायक उमाकांत रजक ने कहा कि बिहार सरकार में बीएसएल ने 21 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की. विस्थापितों को अब तक नौकरी नहीं मिली है. अभी चार हजार एकड़ में अतिक्रमण है. अवैध रूप से लोग बसे हैं. विधायक फंड से चापानल, पीसीसी सड़क बन रहे हैं. लेकिन विस्थापित गांवों को सुविधा नहीं है. सेल का कहना है कि जमीन का स्वामित्व उसके पास है. एनओसी लेना होगा. इन गांवों को पंचायती राज व्यवस्था के अधीन लिया जाये. झामुमो विधायक मथुरा महतो ने कहा कि आज भी बोकारो के पास एक हजार एकड़ जमीन बचा हुआ है. इसे बेचा जा रहा है और व्यवसाय हो रहा है. यह जमीन रैयतों को वापस हो.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है