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ranchi news : रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा की गयी, मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा : जकात निकालना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है, जो मालिके नेसाब (संपन्न) है.

राजधानी की कई मस्जिदों में रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा की गयी. नमाज से पहले जकात और इबादत पर तकरीर हुई, जिसमें इसके महत्व को बताया गया.

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रांची. राजधानी की कई मस्जिदों में रमजान के तीसरे जुमे की नमाज अदा की गयी. नमाज से पहले जकात और इबादत पर तकरीर हुई, जिसमें इसके महत्व को बताया गया. नमाज के बाद दुआ की गयी. आखिरी जुमे की नमाज 28 मार्च को अदा की जायेगी.एदारे शरिया के नाजिमे आला मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने अपनी तकरीर में कहा कि जकात निकालना हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है, जो मालिके नेसाब (संपन्न) है. जकात गरीबों और जरूरतमंदों का हक है, इसलिए इसे रोककर रखना इस्लाम में मना किया गया है. उन्होंने कहा कि जकात निकालने की दर ढाई प्रतिशत निर्धारित है. मौलाना ने वर्तमान समय में समाज में शांति बनाए रखने और हर समुदाय की उन्नति पर ध्यान देने की अपील की. वे बीबी मनीरन मस्जिद भीठ्ठा, कांके में तकरीर कर रहे थे. यहां हाफिज शबान ने नमाज अदा करायी. मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने कहा कि रमजान के आखिरी दिनों में लोग मस्जिद में रहकर इबादत करते हैं. सूरज डूबने से पहले मस्जिद में बैठकर दुनिया की भाग-दौड़ से दूर रहने वाला व्यक्ति पूरी तरह अल्लाह की इबादत में विलीन हो जाता है. ऐसा व्यक्ति जब दुआ करता है तो वह कबूल होती है.

रमजान का आखिरी अशरा शुरू

शुक्रवार शाम से रमजान का आखिरी अशरा शुरू हुआ, जिसे जहन्नुम से निजात का अशरा कहा जाता है. इस दौरान अधिक से अधिक इबादत करने की ताकीद की गयी है. इस अशरे में शबे कद्र की रात आती है, जिसे हजार महीनों की इबादत से बेहतर बताया गया है. इसी रात अल्लाह ने कुरान को नाजिल फरमाया.

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