रांची. फूलखोंसी अनुष्ठान के साथ तीन दिवसीय सरहुल महोत्सव का समापन बुधवार को हुआ. अंतिम दिन विभिन्न मौजा के पाहनों ने अपने-अपने क्षेत्रों में फूलखोंसी की विधि पूरी की. पाहन गांव के एक-एक घर पहुंचे. ढोल-मांदर बजाते हुए पाहन ने पूरे गांव का भ्रमण किया. हर परिवार ने पाहन देवता का पानी से नहलाकर स्वागत किया. इसके बाद पाहन ने हर घर के मुख्य द्वार पर सरहुल फूल लगाकर शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर झारखंड सरना आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा ने भी गाजे-बाजे के साथ फूलखोंसी की. पाहन कंचन होरो ने पूरे गांव का भ्रमण किया. इस अवसर पर वृंदा उरांव, जयमंत्री उरांव, बिरसा भगत, तारकनाथ, संजय, मेघा उरांव आदि उपस्थित थे.
बोड़ेया गांव में भी अनुष्ठान हुआ
इधर, बोड़ेया गांव में पाहन विश्वकर्मा पाहन ने घर-घर जाकर फूलखोंसी की. ढोल-मांदर के साथ सूप में सखुआ फूल लेकर ग्रामीणों के साथ नाचते-गाते टोली ने घर-घर जाकर फूलखोंसी का अनुष्ठान पूरा किया. इलाके की सुख और समृद्धि की कामना की गयी. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सरहुल पर्व के माध्यम से आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति का संरक्षण होता है. लोगों ने उत्साह और उमंग के साथ पर्व में भागीदारी सुनिश्चित की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है