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Ranchi News : उर्दू की तरक्की के लिए विचार करने की जरूरत है : सुभाषिनी

Ranchi News : उर्दू को किस तरह उसके मुकाम तक पहुंचाया जाये, इस पर विचार करने की जरूरत है. उर्दू को मुसलमानों की जुबान समझना बड़ी गलतफहमी है.

रांची. उर्दू को किस तरह उसके मुकाम तक पहुंचाया जाये, इस पर विचार करने की जरूरत है. उर्दू को मुसलमानों की जुबान समझना बड़ी गलतफहमी है. इसे मुसलमानों ने जन्म नहीं दिया है. जुबान की तरक्की के लिए इसे आर्थिक व्यवस्था से जोड़ने की जरूरत है. उर्दू भाषा को जनप्रिय बनाना होगा. यह बात पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कही. वह रविवार को पुरानी विधान सभा सभागार में अंजुमन तरक्की उर्दू द्वारा आयोजित प्रथम उर्दू राज्य सम्मेलन में अतिथि के रूप में बोल रहीं थीं. उन्होंने कहा कि इसके साहित्य को अन्य भाषाओं में अनुवाद होना जरूरी है. इसे जन-जन तक पहुंचाना होगा.

राज्य में सभी भाषाओं की पढ़ाई हो

मौके पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि उर्दू के प्रति आप लोगों ने जो एकता दिखायी है, उससे सरकार को सोचने पर मजबूर होना होगा. वह सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि उर्दू सबकी जुबान है, यह किसी धर्म विशेष की भाषा नहीं है. राज्य में सभी भाषाओं की पढ़ाई हो और इसके लिए उनका विद्यालय हो. उन्होंने कहा कि जो भी मांगें हैं, उसे पूरा कराने में हरसंभव सहयोग करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सत्र के दौरान प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री से मिलवाकर उनकी मांगों से अवगत करायेंगे.

अंजुमन के बारे में मिली जानकारी

पहला सत्र की अध्यक्षता अंजुमन तरक्की उर्दू के राष्ट्रीय सचिव अतहर फारूकी ने की. इस सत्र में संयोजक रिपोर्ट सम्मेलन के संयोजक एमजेड खान ने प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट में अंजुमन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. इस सत्र में जालिब वतनी की पुस्तक उड़ान का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में सुशील साहिल-गोड्डा, मुफ्ती सईद आलम-गिरिडीह, हसन निजामी-धनबाद , जफरुल्लाह सादिक-हजारीबाग और जमशेद कमर ने भी अपनी बातों को रखा. भारतीय संविधान की प्रस्तावना उर्दू भाषा में डॉ रेहाना अली ने प्रस्तुत की. दूसरे सत्र में सांसद महुआ माजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उर्दू और हिंदी का रिश्ता मां और मौसी का है.

उर्दू से संबंधित 13 प्रस्ताव पारित

दूसरे सत्र की अध्यक्षता डॉ यासीन अंसारी ने की और संचालन एमजेड खान ने किया. इस कॉन्फ्रेंस में 22 जिले के प्रतिनिधि शामिल हुए. मौके पर उर्दू से संबंधित 13 प्रस्ताव पारित किये गये. जिसमें साहित्य एवं उर्दू अकादमी का गठन, उर्दू सेल, उर्दू निदेशालय का गठन, उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति सहित अन्य मुद्दे शामिल थे. कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक उमाशंकर अकेला, उर्दू और हिंदी के लेखक वीना श्रीवास्तव, अपराजिता, एमएल सिंह, केके सिंह, सुशील साहिल, रेहाना, नजमा नाहिद, आलम आरा, फरहत जहां, शाजिया शबनम, डॉ अंजार, शकील, शोएब और कनक चौधरी सहित अन्य उपस्थित थे.

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