सुनील चौधरी, रांची.
राज्य में सिंचाई परियोजनाओं से भी जेबीवीएनएल हाइटेंशन की तरह औद्योगिक चार्ज लेता है. इस पर जल संसाधन विभाग ने एतराज जताया है. विभाग ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को आपत्ति भेजकर सिंचाई परियोजना के लिए टैरिफ में छूट की मांग की है. विभाग का कहना है कि ये परियोजनाएं किसानों के लिए हैं. ऐसे में मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना की दर को सिंचाई कैटेगरी में रखा जाये न कि औद्योगिक कैटेगरी में. प्रति यूनिट बिजली की दर भी एचटीआइएस कैटेगरी में रखी गयी है. जबकि, यह सरकारी परियोजना है. इस पर अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ता है. जल संसाधन विभाग के डॉ आलोक कुमार व विजय शंकर ने विद्युत नियामक आयोग को आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा है.7.18 लाख भूमि में सिंचाई सुविधा
विभाग द्वारा लिखा गया है कि झारखंड राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र 79.72 लाख हेक्टेयर में से 29.74 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है. वर्तमान में विभाग द्वारा निर्मित वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई योजनाओं से लगभग 7.18 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता का सृजन हुआ है, जो कुल कृषि योग्य भूमि (29.74 लाख हेक्टेयर) का 24.14 प्रतिशत है एवं राष्ट्रीय औसत 58 प्रतिशत से बहुत ही कम है. विभाग द्वारा भूमिगत पाइपलाइन/मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इसके लिए 90 मेगावाट बिजली की जरूरत पड़ती है. इसके लिए केवल फिक्स्ड चार्ज के रूप में सालाना 21.17 करोड़ रुपये दिये जाते हैं. वहीं, प्रति यूनिट हाइटेंशन सर्विस की दर 5.85 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान किया जाता है. जबकि, इसी परियोजना के लिए ओडिशा में फिक्स्ड चार्ज नहीं लिया जाता. प्रति यूनिट भी दो रुपये की छूट दी जाती है. जल संसाधन विभाग ने इसी तर्ज पर झारखंड में भी फिक्स्ड चार्ज को पूरी तरह माफ करने एवं प्रति यूनिट की दर में 50 प्रतिशत की छूट की मांग की है.
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