रांची. भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन चुका है, जहां के नवाचार वैश्विक परिवर्तन का माध्यम बन रहे हैं. शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को केवल नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि रोजगार सृजन करनेवाला बनाने के लिए शिक्षा प्रदान करें. शोध कार्यों में मौलिकता आवश्यक है. सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि समाजोपयोगी समाधान और नवाचारों पर आधारित शोध ही विकसित भारत की राह को प्रशस्त करेगा. ये बातें राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहीं. मौका था गोस्सनर कॉलेज के आइक्यूएसी की ओर से आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का. इसका विषय था : विकसित भारत @2047. कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित किया गया. इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा, आरकेडीएफ विवि के कुलपति डॉ. शुचितांग्शु चटर्जी, गोस्सनर कॉलेज की प्रो इंचार्ज इलानी पूर्ति, आइक्यूएसी समन्वयक डॉ अजय कुमार आदि उपस्थित थे.
शोध आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत
कुलपति डॉ अजीत सिन्हा ने गोस्सनर कॉलेज को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि विकसित भारत @ 2047 का सपना तभी साकार होगा, जब देश के सभी विवि बहुविषयक, बहु संस्थागत और शोध आधारित शिक्षा को बढ़ावा दें. दूसरा सत्र तकनीकी सत्र था, जिसे छह हिस्सों में विभाजित किया गया. यह सत्र आर्ट, कॉमर्स बिजनेस एंड मैनेजमेंट, साइंस एंड इनोवेशन, लैंग्वेज लिटरेचर एंड ट्रांसलेशन स्टडीज, ह्यूमैनिटीज एंड सोशल स्टडीज, फिल्म मीडिया एंड विजुअल कम्युनिकेशन पर आधारित था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

