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एचइसी में हाथ कम, बोझ ज्यादा, मेंटेनेंस से लेकर उत्पादन तक दिख रहा असर

एचइसी की स्थापना के समय जहां कर्मियों की संख्या 22 हजार से अधिक थी, जो अब घटकर एक हजार से नीचे हो गयी है.

रांची. एचइसी की स्थापना के समय जहां कर्मियों की संख्या 22 हजार से अधिक थी, जो अब घटकर एक हजार से नीचे हो गयी है. इसका असर उत्पादन सहित अन्य कार्यों पर पड़ रहा है. एचइसी मुख्यालय और तीनों प्लांटों (एफएफपी, एचएमबीपी व एचएमटीपी) के प्रशासनिक भवन के कई कक्ष वीरान हो गये हैं. मेंटेनेंस नहीं होने से जर्जर होते जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार सितंबर में एचइसी में कुल 927 स्थायी कर्मी कार्यरत हैं, जिसमें एक्सक्यूटिव की संख्या 229 तथा तकनीकी व नन तकनीकी कर्मियों की संख्या 562 है. वहीं प्लांटों में एफएफपी में 281, एचएमबीपी में 402, एचएमटीपी में 88, प्रोजेक्ट में 26, टीए डिविजन में 13, मेडिकल में 16, एचटीआइ में 03, टीपीटी में 08, फाइनेंस में 15, मार्केटिंग में 24, पर्सनल में 20 व अन्य 31 कर्मी मिलाकर कुल 927 स्थायी कर्मी हैं.

सप्लाई कर्मियों की संख्या 1400 से अधिक

एचइसी में स्थायी कर्मियों से अधिक सप्लाई कर्मियों की संख्या है. एचइसी के तीनों प्लांट व मुख्यालय में 1400 से अधिक सप्लाई कर्मी हैं, जो उत्पादन से लेकर अन्य कार्यों में कार्यरत हैं. वहीं प्रबंधन का भी कहना है कि एचइसी के सप्लाई कर्मी कंपनी की रीढ़ हैं. मालूम हो कि एचइसी की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया वर्ष 2018 से बंद है. वहीं मृत कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी पहले जहां स्थायी रूप में दी जाती थी, वह अब सप्लाई के तहत दी जा रही है.

सबसे अधिक मेंटेनेंस का काम हो रहा प्रभावित

एचइसी में कर्मियों की संख्या लगातार कम होने से सबसे अधिक प्रभाव मेंटेनेंस विभाग पर पड़ा है. पूर्व में जहां हर सेक्टर में एक मेंटेनेंस कार्यालय हुआ करता था और वहां 15 से 20 कर्मी कार्यरत थे, वह अब बंदी की कगार पर पहुंच गया है. फंड की कमी के कारण क्वार्टरों का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है. वहीं शौचालय जाम होने से क्वार्टरों में रहने वाले लोगों को बाहर से लोगों को बुलाना पड़ता है.

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