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देश भर के एकलव्य विद्यालयों में 4 गुना तक बढ़ा ड्रॉपआउट, झारखंड में घटा

Eklavya School News: देश भर के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में ड्रॉपआउट की दर तेजी से बढ़ी है. महज 5 साल में 4 गुना तक बढ़ गया. हालांकि, झारखंड में इस मामले में स्थिति में सुधार आया है. पिछले साल 30 बच्चों ने स्कूल छोड़ा था, वर्ष 2024-25 में मात्र 6 बच्चों ने स्कूल छोड़ा, जो देश के एकलव्य विद्यालयों में सबसे कम है.

Eklavya School News: भारत सरकार ने आदिवासी बहुल राज्यों में आदिवासी बच्चों गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल (EMRS) की स्थापना की है. अब तक 728 ईएमआरएस यानी एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों को मंजूरी मिली है, जिसमें से 479 चालू हो चुके हैं. एकलव्य विद्यालय शुरू करने में सरकार तेजी ला रही है, लेकिन इन स्कूलों में ड्रॉपआउट बढ़ रहे हैं. यानी बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ रहे हैं. केंद्र द्वारा वित्तपोषित आवासीय विद्यालय जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं. हालांकि, हाल के वर्षों में ड्रॉपआउट बढ़ा है. अच्छी बात यह है कि झारखंड में ड्रॉपआउट में बड़ी कमी आयी है.

2024-25 में 552 बच्चों ने बीच में छोड़ दी पढ़ाई

केंद्र सरकार के आंकड़े बताते हैं कि एकलव्य विद्यालयों में ड्रॉपआउट की दर 5 साल में 4 गुना बढ़ गयी है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 में एकलव्य आवासीय विद्यालय छोड़ने के 552 मामले सामने आये. वर्ष 2021-22 में यह संख्या 111 थी. वर्ष 2024-25 में स्कूल छोड़ने के सबसे अधिक मामले छत्तीसगढ़ (88), ओडिशा (87) और मध्यप्रदेश (71) में सामने आये हैं.

देश में संचालित हो रहे हैं 479 एकलव्य आवासीय विद्यालय

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 और वर्ष 2024-25 के बीच कुल 1,233 आदिवासी छात्र ईएमआरएस से निकल गये. यह संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है. वर्ष 2021-22 में 111 से बढ़कर 2022-23 में 241 और 2023-24 में 329 हो गयी. ये आंकड़े 14 जुलाई 2025 तक अलग-अलग राज्यों में संचालित 479 स्कूलों के हैं.

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ओडिशा में सबसे ज्यादा बच्चों ने छोड़े स्कूल

ओडिशा में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या बहुत अधिक है. इस राज्य में वर्ष 2023-24 में 84 और वर्ष 2024-25 में 87 छात्रों ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. छत्तीसगढ़ में स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या की बात करें, तो वर्ष 2021-22 के केवल 2 छात्रों ने स्कूल छोड़ा था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 88 हो गयी.

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सबसे ज्यादा ड्रॉपआउट वाले राज्य

मध्यप्रदेश में भी उन राज्यों में शामिल है, जहां ज्यादा बच्चे बीच में पढ़ाई छोड़ रहे हैं. इस राज्य में वर्ष 2022-23 में सबसे अधिक 101 छात्रों ने स्कूल छोड़ा था. वर्ष 2024-25 के शैक्षणिक वर्ष में यह संख्या घटकर 71 रह गयी. वर्ष 2024-25 में अधिक संख्या में छात्रों के स्कूल छोड़ने वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र (68), आंध्रप्रदेश (66), राजस्थान (45) और तेलंगाना (37) शामिल हैं.

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झारखंड में सिर्फ 6 बच्चों ने छोड़ा स्कूल

झारखंड सरकार की पहल के बाद यहां ड्रॉपआउट में कमी आयी है. वर्ष 2022-23 में झारखंड के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के 30 छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था. वर्ष 2024-25 में यह संख्या घटकर 6 रह गयी.

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ड्रॉपआउट रोकने के लिए सरकार ने की कई पहल

झारखंड सरकार ने ड्रॉपआउट की दर को रोकने के लिए जवाहर नवोदय विद्यालय की तर्ज पर कई नयी पहल की. स्कूलों में आधारभूत संरचना का विकास किया गया. स्कूलों को आईसीटी सक्षम बनाया जा रहा है. रेमेडियल एजुकेशन की शुरुआत की गयी. वोकेशनल एजुकेशन पर जोर दिया गया. ड्रॉप आउट रोकने के लिए स्पोर्ट्स को भी बढ़ावा दिया गया.

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7 जिलों में संचालित हो रहे एकलव्य आवासीय विद्यालय

इसका असर दिखा और ड्रॉपआउट रेट जहां देश के अन्य राज्यों में बढ़ा है, झारखंड में इसमें कमी आयी है. झारखंड के 7 जिलों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जो इस प्रकार हैं.

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, भोगडनाहीड, साहिबगंज
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, काठीजोरिया, दुमका
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, तोरसिंदरी, पश्चिमी सिंहभूम
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, तमाड़, रांची
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सुंदरपहाड़ी, गोड्डा
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, कुजरा, लोहरदगा
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, बसिया, गुमला

Eklavya School News: झारखंड की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें7 में 4 स्कूल लड़कियों के लिए

झारखंड में हर एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में 480 सीट हैं. यानी 7 स्कूलों में 3360 जनजातीय समुदाय के बच्चे एडमिशन ले सकते हैं. राज्य में 3 स्कूल लड़कों के लिए संचालित हो रहे हैं, तो 4 स्कूल लड़कियों के लिए. इन स्कूलों में 6ठी से 12वीं तक की पढ़ाई मुफ्त में होती है. रहने-खाने का खर्च भी केंद्र सरकार वहन करती है.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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