रांची. दुर्गापूजा का उत्सव अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसकी भव्यता सात समंदर पार भी गूंज रही है. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड में बसे प्रवासी भारतीय पूरे 10 दिनों तक दुर्गोत्सव को पारंपरिक अंदाज में मना रहे हैं. पूजा पंडाल की सजावट, थीम चयन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये भारतीय परंपरा को जीवंत रखा गया है. परिवार के हर सदस्य ने आयोजन को भव्य बनाने में योगदान दिया. इंग्लैंड से सुमाना एड़क ने प्रभात खबर को बताया कि स्लो क्रिकेट क्लब में पूजा के लिये सरकार से अनुमति ली गयी है. पंडाल की थीम ‘चाय अड्डा’ रखी गयी है, जिसकी आंतरिक सज्जा इसी पर आधारित है. गायिका लघ्नाजिता चक्रवर्ती मां दुर्गा के गीतों से श्रद्धालुओं को मोहित कर रही हैं. कैम्ब्रिज में इंडियन कल्चरल सोसाइटी ने ‘24 वर्ष के प्रवास’ को थीम बनाया है. समिति की अध्यक्ष बरनाली स्वयं पंडाल सजाती हैं और बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रम, कविता-पाठ और भोग बनाने की जानकारी देती हैं. इलिंग के गुनरबैरी पार्क स्पोर्ट्स में बंगाली हैरिटेज फाउंडेशन ने पूजा का आयोजन किया है, जिसकी थीम बंगाली महानायक उत्तम कुमार की फिल्मों पर आधारित है. इसे यूरोप का सबसे बड़ा दुर्गापूजा उत्सव माना जा रहा है.
स्विस कॉटेज में 1963 से हो रही पूजा
लंदन के स्विस कॉटेज लाइब्रेरी में वर्ष 1963 से दुर्गापूजा का आयोजन हो रहा है. इस बार ‘मां’ थीम पर पंडाल सजाया गया है. ढाक और धुनुची नृत्य के साथ रसगुल्ले और मोमो के स्टॉल ने कोलकाता की यादें ताजा कर दी हैं.
डॉक्टरों और इंजीनियरों ने भी किया आयोजन
बंगाली कल्चरल एंड सोशल क्लब की ‘डॉक्टर्स पूजा’ भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. वर्ष 2000 में आठ भारतीय मूल के डॉक्टरों ने इसकी शुरुआत की थी, जो अब बड़े रूप में आयोजित हो रही है. वहीं एडिनबर्ग में आइटी इंजीनियरों की संस्था ‘साबाश’ द्वारा 12वां दुर्गोत्सव आयोजित किया गया है, जिससे स्कॉटलैंड का माहौल भक्तिमय हो गया है.
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