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बंद होने के कगार पर है भूमिगत कोयला खदान चूरी

सीसीएल की सबसे बड़ी और एनके एरिया की एकमात्र भूमिगत कोयला खदान चूरी परियोजना अगले 48 घंटे बाद कोयला के अभाव में बंद हो जायेगी.

डकरा

सीसीएल की सबसे बड़ी और एनके एरिया की एकमात्र भूमिगत कोयला खदान चूरी परियोजना अगले 48 घंटे बाद कोयला के अभाव में बंद हो जायेगी. चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले महीने अप्रैल में चूरी जैसा बड़ा कोयला खदान बंद होने की संभावना से सीसीएल प्रबंधन से लेकर कोल इंडिया मुख्यालय तक चिंतित है. जानकारी के अनुसार चूरी खदान में कोयला नहीं बचा है. आगे काम करने के लिए बेंती पैच में काम करना होगा. लेकिन बेंती पैच में काम करने के पहले वन विभाग, इनवायरमेंट क्लीयरेंस, आदि जैसे जरूरी विभाग की सहमति जरूरी है. इसी के आधार पर डीजीएमएस भी खनन कार्य करने का आदेश देती है. लेकिन मामला अटका हुआ है. इसके पहले अप्रैल में ही एनके एरिया की सबसे बड़ी और विश्व बैंक संपोषित केडीएच कोयला खदान बंद हो गया. दिसंबर से रोहिणी खदान भी बंद है. कोयला उत्पादन के मामले में फिलहाल चूरी ही एनके एरिया का सम्मान बचाये हुए थी. लेकिन दो दिन बाद जब क्षेत्र का कोयला उत्पादन के नाम पर शून्य दर्ज हो जायेगा तो यहां काम करनेवाले अधिकारियों, कामगारों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. हर तरफ बेरोजगारी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. एनके एरिया में पांच कोयला खदानें हैं. जिसमें केडीएच, डकरा और रोहिणी 23 अप्रैल को शून्य कोयला उत्पादन किया है. पुरनाडीह 320 टन और चूरी ने 2016 टन कोयला उत्पादन किया है. एक दिन पहले के आंकड़े से एनके एरिया की हालत को समझा जा सकता है.

काम कर रही है आउटसोर्स कंपनी

चूरी में जाॅय माइनिंग नामक आउटसोर्स कंपनी कोयला उत्पादन का काम कर रही है. इस कंपनी के आने पर चूरी में व्यापक बदलाव हुए और उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी हुई. कंपनी का कॉंट्रैक्ट अभी भी तीन साल बचा हुआ है. ऐसे में कंपनी से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लगभग 400 लोग सकते में हैं. काम बंद रहने की स्थिति में सीसीएल को कंपनी के नुकसान की भरपाई करनी होगी.

100 मिलियन में एनके एरिया का योगदान क्या होगा?

सीसीएल ने चालू वित्तीय वर्ष में 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य के अनुसार क्षेत्र को 38 लाख टन कोयला निकालने का लक्ष्य दिया गया है. लेकिन जिस तरह एक के बाद एक सभी महत्वपूर्ण कोयला खदानें बंद हो रही हैं, उससे हर तरफ अब यही चर्चा है कि तय लक्ष्य में एनके एरिया का क्या योगदान होगा?

रोहिणी का भविष्य तय होगा 27 अप्रैल को

27 अप्रैल को स्टेट लेबल इनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट ऑथोरिटी (सिया) की बैठक होगी. जिसमें दिसंबर महीने से बंद रोहिणी कोयला खदान का भविष्य तय किया जायेगा. जानकारी के अनुसार सिया के मानकों को पूरा करनेवाले सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया गया है. 27 अप्रैल को कमेटी में शामिल लोग इसकी समीक्षा कर आगे की कार्रवाई करेंगे. अगर सब कुछ ठीक रहा तो तीन साल के लिए रोहिणी खदान को जीवनदान मिल सकता है. केडीएच में जामुनदोहर बस्ती की जमीन पर काम करना चुनौती बना हुआ है. पुरनाडीह में 212 हेक्टेयर वन भूमि पर विभाग की सहमति नहीं मिल पायी है. डकरा की स्थिति भी निराशाजनक है.

आज कोयला सचिव लेंगे जायजा

मुख्यालय के कार्यालय सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोयला सचिव सीसीएल के वैसे क्षेत्रों की समस्या का जायजा लेंगे, जिनकी स्थिति बहुत खराब है. इस मामले में एनके एरिया को लेकर गंभीर चर्चा हो सकती है.

हालत बेहद गंभीर हैं, ठीक करने का प्रयास : जीएम

एनके एरिया के महाप्रबंधक सुजीत कुमार से जब बात की गयी तो उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि चूरी में मात्र दो दिन काम करने के लिए कोयला बचा हुआ है. हालात बेहद गंभीर हैं. बावजूद सीसीएल और एनके प्रबंधन काफी गंभीरता से लगी हुई है. ताकि खराब स्थिति को पटरी पर लाया जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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