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आदिवासी भाषाओं का हिंदी और अंग्रेजी में होगा अनुवाद, 1 सितंबर को आदि वाणी ऐप की लांचिंग

Aadi Vani App: अब आदिवासियों के द्वारा बोली जाने वाली जनजातीय भाषाएं भी आधुनिक होंगी. आधुनिक भारत के साथ तालमेल कर रहे आदिवासी युवा अपनी भाषा के साहित्य को पढ़ सकेंगे. इसके लिए एक ऐप तैयार हुआ है, जिसे आदि वाणी नाम दिया गया है. इस ऐप की लांचिंग 1 सितंबर 2025 को होगी. यह कई जनजातीय भाषाओं का अनुवाद करने में सक्षम है. इसके बारे में सब कुछ यहां जानें.

Aadi Vani App| रांची, प्रवीण मुंडा : जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर आदिवाणी ऐप (Aadivani App) बनाया गया है. टीआरआइ से मिली जानकारी के अनुसार, एक सितंबर को इस ऐप की लांचिंग होनेवाली है. यह ऐप एक एआइ प्लेटफॉर्म में है, जिससे भाषा के संरक्षण और संवर्धन में काफी मदद मिलेगी. इसके जरिये आदिवासी भाषाएं डिजिटल और ग्लोबल होंगी. आदिवासी भाषाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है.

ऐप से होंगे ये फायदे

आदिवाणी ऐप (Aadivani App) के जरिये टेक्स्ट, वॉइस या डॉक्यूमेंट को बस टाइप या अपलोड करना है. यह उसका अनुवाद तुरंत कर देता है. इसके जरिये आदिवासी भाषा का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में हो सकता है. फिलहाल ऐप के जरिये 4-5 आदिवासी भाषाओं को जोड़ा गया है.

  • एक सितंबर 2025 को होगी ऐप की लांचिंग
  • अब आदिवासी भाषाएं होंगी डिजिटल और ग्लोबल
  • टेक्स्ट, वॉइस और डॉक्यूमेंट का तुरंत अनुवाद संभव

मुंडारी, संताली, पुई, गोंडी और भीली भाषा का होगा अनुवाद

इनमें झारखंड से मुंडारी, ओडिशा से संताली और पुई, छत्तीसगढ़ की गोंडी और मध्यप्रदेश की भीली भाषा शामिल है. भविष्य में इसमें और भाषाओं को जोड़ा जा सकेगा. यह ऐप सिर्फ अनुवाद ही नहीं करता है, बल्कि शब्दकोश का भी काम करता है. भविष्य में इसके जरिये लोगों तक जनोपयोगी सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी जायेगी.

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4 टीआरआइ सहित देश के तकनीकी संस्थानों ने किया काम

इस ऐप के सॉफ्टवेयर बनाने में आइआइटी दिल्ली, आइआइटी हैदराबाद, आइआइटी रायपुर और बिट्स पिलानी जैसे तकनीकी संस्थानों से मदद मिली. रांची, रायपुर, ओड़िशा और मध्यप्रदेश के जनजातीय शोध संस्थानों ने भाषा और शब्दावलियों को उपलब्ध कराया है.

युवा पीढ़ी को ऐप का मिलेगा फायदा

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान रांची ने मुंडारी भाषा के विशेषज्ञों के जरिये मुंडारी भाषा से संबंधित सामग्री उपलब्ध कराया था. इस ऐप से आदिवासी भाषाओं के जरिये संवाद करने, भाषा सीखने, जागरूकता लाने और जनजातियों के सशक्तिकरण में मदद मिलेगी. खासकर आज की युवा पीढ़ी जो तकनीक के साथ जी रही है उन्हें भी इससे काफी फायदा होगा.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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