एजेंसियां, वाशिंगटनसाल के बाकी दिनों से 30 जून (बुधवार) एक सेकेंड लंबा होगा. नासा ने कहा है कि एक अतिरिक्त सेकेंड या लीप सेकेंड जुड़ने के कारण यह दिन आम दिनों की तुलना में थोड़ा लंबा होगा. ग्रीनबेल्ट स्थित नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर का कहना है कि धरती का रोटेशन थोड़ा धीमा हो रहा है. इसे लीप सेकेंड में गिना जा सकता है.को-ऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) के मुताबिक, एक दिन में 86,400 सेकेंड्स होते हैं. यह अटॉमिक टाइम है, जहां एक सेकेंड की अवधि सीसियम के ऐटम्स में होनेवाली पूर्वानुमानित इलेक्ट्रोमैग्नेटिक ट्रांजिशंस के आधार पर तय की जाती है. ये ट्रांजिशंस इतनी विश्वसनीय हैं कि सीसियम क्लॉक 1,400,000 सालों तक एक सेकेंड का भी सटीक अनुमान लगा सकती है. हालांकि, एक मीन सौर दिन यानी एक दिन की औसत लंबाई, इस पर निर्भर करती है कि पृथ्वी को रोटेट करने में कितना समय लगता है. आमतौर पर पृथ्वी को एक रोटेशन में 86,400.002 सेकेंड्स लगते हैं. वैज्ञानिकों का आकलन है कि मीन सौर दिन वर्ष 1820 के बाद से 86,400 सेकेंड्स लंबा नहीं रहा है.इसलिए 30 जून को ठीक 11:59:59 यूटीसी पर एक लीप सेकेंड जोड़ा जायेगा. इसका मतलब यह है कि इस वक्त के बाद नया दिन शुरू होने के बजाय अटॉमिक क्लॉक्स में 11:59:60 बजेंगे. कुछ दिनों को 86,400 के बजाय 86,401 सेकेंड्स का करना पड़ता है, क्योंकि ऐसा न करने पर अटॉमिक क्लॉक्स पृथ्वी की रोटेशन के सिंक में नहीं रहेंगी.यूटीसीयूटीसी टाइम स्टैंडर्ड का इस्तेमाल वक्त देखने के लिए हम और आप रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं.
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एक सेकेंड लंबा होगा 30 जून
एजेंसियां, वाशिंगटनसाल के बाकी दिनों से 30 जून (बुधवार) एक सेकेंड लंबा होगा. नासा ने कहा है कि एक अतिरिक्त सेकेंड या लीप सेकेंड जुड़ने के कारण यह दिन आम दिनों की तुलना में थोड़ा लंबा होगा. ग्रीनबेल्ट स्थित नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर का कहना है कि धरती का रोटेशन थोड़ा धीमा हो […]
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