रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने रांची में 23 अगस्त 2024 को भाजयुमो की आक्रोश रैली के दौरान पुलिस के साथ हुई झड़प मामले में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी व राज्य सरकार का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि प्रार्थियों पर ऐसा कोई आरोप नहीं है, जिससे उनके खिलाफ मामला चलाया जाये. अदालत के फैसले से प्रार्थी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह प्रतिपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री सह सांसद संजय सेठ, बीडी राम, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव सहित 39 नेताओं को बड़ी राहत मिल गयी है. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव व अधिवक्ता पार्थ जालान ने पैरवी की. उन्होंने अदालत को बताया कि प्रार्थियों को परेशान करने के लिए यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है. उनके खिलाफ कोई गंभीर आरोप भी नहीं है. इसके बावजूद दुर्भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी लालपुर थाना में दर्ज करायी गयी, जो गलत है. उन्होंने लालपुर थाना में प्राथमिकी को निरस्त करने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा व अन्य की ओर से अलग-अलग क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गयी थी. उन्होंने लालपुर थाना में कांड संख्या-203/2024 के तहत दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की गयी थी. आक्रोश रैली में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हुई पुलिस झड़प की घटना को लेकर दर्ज प्राथमिकी में 51 नामजद सहित 12000 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया था. हेमंत सरकार के खिलाफ भाजयुमो ने आक्रोश रैली निकाली थी.
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