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Land Mutation News : झारखंड में म्यूटेशन के 20 लाख मामले 10 लाख से अधिक कर दिये गये रिजेक्ट

दाखिल-खारिज के मामले में अंचलाधिकारियों (सीओ) के रवैये के कारण भू-राजस्व विभाग की राजस्व उगाही में भारी कमी आयी है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य भर के 268 अंचलों में म्यूटेशन के 20 लाख मामले आये थे, जिनमें से आधे से अधिक को अंचलाधिकारी (सीओ) रिजेक्ट कर चुके हैं.

आनंद मोहन(रांची). दाखिल-खारिज के मामले में अंचलाधिकारियों (सीओ) के रवैये के कारण भू-राजस्व विभाग की राजस्व उगाही में भारी कमी आयी है. आंकड़े बताते हैं कि राज्य भर के 268 अंचलों में म्यूटेशन के 20 लाख मामले आये थे, जिनमें से आधे से अधिक को अंचलाधिकारी (सीओ) रिजेक्ट कर चुके हैं. यानी करीब 10 लाख आवेदनों पर दावा अस्वीकृत किया गया है. स्थिति को देखते हुए भू-राजस्व विभाग म्यूटेशन की प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने पर विचार कर रहा है. विभागीय मंत्री दीपक बिरुआ ने इस मामले में कई निर्देश दिये हैं. ऐसी व्यवस्था तैयार की जा रही है, जिससे सीओ द्वारा दाखिल-खारिज के मामले रिजेक्ट किये जाने की सूचना ऑनलाइन दूसरे वरीय अधिकारियों को मिल सके.

‘राइट टू सर्विस एक्ट’ के तहत आता है म्यूटेशन का मामला

गौरतलब है कि म्यूटेशन का मामला ‘राइट टू सर्विस एक्ट’ के तहत आता है. इसके बावजूद लोगों को म्यूटेशन के लिए महीनों अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. राजधानी रांची सहित राज्य के एक दर्जन से ज्यादा अंचलों में दाखिल-खारिज को रिजेक्ट करने के मामले सबसे अधिक हैं. रांची के नामकुम, रातू और कांके अंचलों में 2000 से ज्यादा म्यूटेशन अस्वीकृत किये जा चुके हैं. उधर, पाकुड़ सदर, धनबाद के गोविंदपुर, बोकारो के चास और हजारीबाग सदर अंचल में भी रिजेक्शन के हजारों मामले हैं. ऐसी स्थिति में भू-राजस्व विभाग के लिए राजस्व बढ़ाना बड़ी चुनौती है. विभाग को लगान, निबंधन, हाट-बाजार कर, सरकारी भूमि के अधिग्रहण, परती बिक्री आमद आदि से राजस्व की प्राप्ति होती है. मौजूदा वित्तीय वर्ष(2024-25) में एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये राजस्व उगाही का लक्ष्य रखा गया था, जबकि इसके मुकाबले लगभग 30 हजार करोड़ राजस्व की ही वसूली हो पायी है.

सीओ के रिजेक्शन के बाद सक्षम पदाधिकारी तक नहीं पहुंच पाते आवेदनकर्ता

म्यूटेशन के मामले में सीओ को निर्णय लेने का अधिकार है. सीओ द्वारा दाखिल-खारिज का आवेदन रिजेक्ट करने के बाद आधे से अधिक जमीन मालिक वरीय सक्षम अधिकारी तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे लोग भूमि सुधार उपसमहर्ता (डीसीएलआर) के पास अपील में जा सकते हैं. म्यूटेशन के मामले की सूचना उपायुक्त को भी दी जा सकती है. विभाग अब प्रयास कर रहा है कि सीओ द्वारा रिजेक्ट किये गये सभी मामले डीसीएलआर तक ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत पहुंचें, ताकि सक्षम अधिकारी म्यूटेशन के अस्वीकृत आवेदनों के संबंध में सवाल-जवाब कर सकें.

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Prabhat Khabar News Desk
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