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पतरातू में निजी कंपनियों के लिए कोयला खोज रही सीएमपीडीआइ
पतरातू से लौट कर मनोज सिंह कोल माइंनिंग एंड डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) पतरातू में निजी कंपनियों के लिए कोयला खदान खोज रहा है. पतरातू कोल ब्लॉक के नाम से चिह्नित इस कोल ब्लॉक के करीब चार वर्ग किलोमीटर के दायरे में ड्रिलिंग का काम हो रहा है. यह कोल ब्लॉक भारत सरकार ने गैर सीआइएल […]
पतरातू से लौट कर मनोज सिंह
कोल माइंनिंग एंड डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) पतरातू में निजी कंपनियों के लिए कोयला खदान खोज रहा है. पतरातू कोल ब्लॉक के नाम से चिह्नित इस कोल ब्लॉक के करीब चार वर्ग किलोमीटर के दायरे में ड्रिलिंग का काम हो रहा है. यह कोल ब्लॉक भारत सरकार ने गैर सीआइएल कोल ब्लॉक के रूप में चिह्नित किया है. कोयले का संभावित स्टॉक और गुणवत्ता पता चलने के बाद कंपनी इसका जियोलॉजिकल रिपोर्ट तैयार करेगी.
सीएमपीडीआइ पतरातू कोल ब्लॉक के चार वर्ग किलोमीटर के दायरे में करीब 25 हजार मीटर ड्रिलिंग करेगी. इसके लिए 29 बोर होल करने का प्रस्ताव किया गया है. एक-एक बोर होल करीब 950 से 1000 मीटर की होगी.
एक बोर होल को पूरा करने में करीब एक माह का समय लगता है. पूरे ब्लॉक के एक्सप्लोरेशन कार्य पूरा करने का कुल समय लगभग एक वर्ष लगेगा. दौरे के क्रम में सीएमपीडीआइ के अधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि ड्रिलिंग के बाद ही कोयले की गुणवत्ता, उसमें उपलब्ध सिम का पता चल पायेगा.
अब कोयले की गुणवत्ता जानना हुआ आसान : श्री कुमार ने बताया कि यहां सीएमपीडीअाइ का विभागीय ड्रिलिंग का काम हो रहा है. ड्रिलिंग की नयी विधि भी आ गयी है. इससे कोयले की गुणवत्ता को जानना आसान हो गया है. ड्रिल के परिचालक ने एसओपी (मानक प्रचालन प्रक्रिया) के बारे में विस्तृत जानकारी दी. बताया कि कैसे ड्रिल साइट में कोयला वाले भाग की सैंपलिंग की जाती है. पहले कोयला का सैंपल निकालने में काफी परेशानी होती थी. नयी पाइप तकनीकी से यह आसान हो गया है.
भारत सरकार करा रही है चिह्नित
भारत सरकार नॉन-कोल इंडिया ब्लॉकों के विस्तृत ड्रिलिंग के लिए सेंट्रल सेक्टर स्कीम के तहत सीएमपीडीआइ को सहायता दे रही है. कोल इंडिया के पास पर्याप्त मात्र में चिह्नित भंडार है. इसका करीब 100 साल तक खनन हो सकेगा. इस कारण भारत सरकार ने निजी कंपनियों को कोल ब्लॉक देने के लिए चिह्नित कराने का काम शुरू किया है.
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