– पारा शिक्षकों सहित सभी अनुबंधकर्मियों के बकाया का होगा भुगतान
रांची : झारखंड की नयी सरकार ने रविवार को फैसला किया कि राज्य में दो वर्षों पूर्व पत्थलगड़ी को लेकर हुए आंदोलन के दौरान दर्ज मामले वापस लिये जायेंगे और राज्य के पारा शिक्षकों एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं समेत सभी अनुबंधकर्मियों के बकाये का अविलंब भुगतान किया जायेगा. झारखंड के मंत्रिमंडल सचिव अजय कुमार सिंह ने संवाददाताओं को यहां बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की पहली बैठक रविवार को सचिवालय में हुई और इसमें उक्त आशय के फैसले लिये गये.
मंत्रिमंडल सचिव ने बताया कि मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में संशोधन का विरोध करने तथा पत्थलगड़ी करने के संबंध में दर्ज किये गये मामले वापस लेने की प्रक्रिया प्रारंभ की जायेगी और संबद्ध अधिकारियों को तदनुसार कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार ने झारखंड राज्य में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन संपन्न कराने के लिए भारत सरकार के निर्वाचन आयोग को धन्यवाद दिया तथा इस आशय का एक प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में पारित किया गया.
इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में राज्य सरकार में विभिन्न विभागों में रिक्त सभी पदों को यथाशीघ्र भरने का निर्देश दिया गया. राज्य सरकार ने महिलाओं तथा नाबालिगों के यौन उत्पीड़न एवं उनके खिलाफ अन्य अपराधों के बारे में सुनवाई करने के लिए प्रत्येक जिले में त्वरित अदालत के गठन का निर्णय लिया तथा इस उद्देश्य से न्यायिक अधिकारियों के आवश्यक पदों के सृजन का भी निर्णय लिया गया.
मंत्रिमंडल ने निर्देश दिया कि सभी जिले के उपायुक्त विभिन्न प्रकार के अनुबंध कर्मियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं, विभिन्न श्रेणियों के पेंशन भोगियों, सभी प्रकार की छात्रवृत्तियों के लाभार्थियों एवं पारा शिक्षकों से संबंधित सभी लंबित भुगतान पूर्ण कराने के लिए प्रखंड तथा पंचायत स्तर पर शिविर लगाकर कार्रवाई करें.
मंत्रिमंडल में यह भी फैसला किया गया कि सभी उपायुक्त यथाशीघ्र अपने-अपने जिलों में गरीब एवं पात्र व्यक्तियों के बीच कंबल और ऊनी टोपी वितरण का कार्य संपन्न करायें. साथ ही जाड़े से राहत के लिए सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था की जाए. मंत्रिमंडल में झारखंड राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न (लोगो) पर विमर्श किया गया. इसे झारखंड राज्य की संस्कृति, परंपरा, इतिहास एवं स्वर्णिम भविष्य के अनुरूप संशोधित करने की आवश्यकता बतायी गयी और निर्णय लिया गया कि इस संबंध में प्रस्ताव आमंत्रित कर इसे नया स्वरूप देने की प्रक्रिया की जायेगी.