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झारखंड विधानसभा परिणाम : जनता ने दिया बहुमत, निर्दलीय और छोटे दल नहीं होंगे किंगमेकर

विवेक चंद्र रांची : विधानसभा चुनाव में जनता ने झामुमो के नेतृत्ववाली महागठबंधन सरकार को जनादेश दे दिया. तय कर दिया कि इस बार निर्दलीय और छोटे दलों की पूछ नहीं होगी. किसी छोटे दल या निर्दलीय विधायक को किंगमेकर की भूमिका निभा कर सौदेबाजी का कोई मौका नहीं होगा. इस बार केवल चार छोटे […]

विवेक चंद्र
रांची : विधानसभा चुनाव में जनता ने झामुमो के नेतृत्ववाली महागठबंधन सरकार को जनादेश दे दिया. तय कर दिया कि इस बार निर्दलीय और छोटे दलों की पूछ नहीं होगी. किसी छोटे दल या निर्दलीय विधायक को किंगमेकर की भूमिका निभा कर सौदेबाजी का कोई मौका नहीं होगा. इस बार केवल चार छोटे दल या निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत हासिल की है.
जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के बागी सरयू राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर मुख्यमंत्री रघुवर दास को हरा दिया. टिकट नहीं मिलने से नाराज भाजपा के पूर्व विधायक अमित यादव भी बरकट्ठा से निर्दलीय चुनाव जीते. छोटे दलों में माले प्रत्याशी विनोद सिंह को जनता ने बगोदर से प्रतिनिधि चुना. वहीं, हुसैनाबाद से कमलेश कुमार सिंह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के टिकट पर लड़ कर चुनाव जीते.
चुनाव में आजसू और झाविमो जैसे झारखंड के क्षेत्रीय दल भी सफलता का दोहराव नहीं कर सके. झाविमो को तीन और आजसू को दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा. झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने धनवार, बंधु तिर्की ने मांडर और प्रदीप यादव ने पोड़ैयाहाट से चुनाव जीता. आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो ने सिल्ली से चुनाव जीता. जबकि, गोमिया से लंबोदर महतो आजसू के टिकट पर चुनाव जीते हैं. बहुमत की यूपीए सरकार में फिलहाल इन दोनों दलों की भूमिका भी नगण्य नजर आ रही है.
बेदाग इतिहास रहा है माले का
झारखंड में छोटा दल होने के बाद भी माले का इतिहास हमेशा बेदाग रहा है. बगोदर से माले विधायक महेंद्र सिंह पर आजीवन कोई आरोप नहीं लगा. महेंद्र सिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र विनोद सिंह माले के विधायक बने. यह वह दौर था जब निर्दलीय विधायकों की सौदेबाजी चरम पर थी. फिर भी विनोद सिंह हमेशा पार्टी की नीतियों पर चलते रहे. उन्होंने जनादेश की कीमत कभी नहीं लगने दी.
निर्दलीय विधायक : जमशेदपुर पूर्वी से सरयू राय व बरकट्ठा से अमित यादव
छोटे दलों के विधायक : बगोदर से माले के विनोद सिंह, हुसैनाबाद से एनसीपी के कमलेश सिंह
झारखंड में निर्दलीय व छोटे दलों का इतिहास रहा है सौदेबाजी का
झारखंड में निर्दलीय व छोटे दलों का इतिहास साैदेबाजी का रहा है. वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद व वर्ष 2014 के पूर्व तक किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने से निर्दलीय व छोटे दलों के विधायकों की चलती रही थी. एनसीपी के कमलेश सिंह, झापा के एनोस एक्का, निर्दलीय भानु प्रताप शाही, झारखंड जनाधिकार मंच के बंधु तिर्की, निर्दलीय हरिनारायण राय अकेले विधायक होकर भी मंत्री बने. छोटे दलों में आजसू पार्टी के सुदेश महतो और चंद्रप्रकाश चौधरी भी मंत्री बने. चंद्रप्रकाश चौधरी एनडीए और यूपीए दोनों ही सरकार में मंत्री रहे. निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा तो राज्य के मुख्यमंत्री तक बन गये थे.

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