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रांची : झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें होंगी बंद लाइसेंस जारी होने से पहले होगी जांच

क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लेकर और सख्त होगा सिविल सर्जन कार्यालय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में चल रही झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें यानी फर्जी क्लिनिक और नर्सिंग होम बंद हो जायेंगे. इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा ब्लॉक स्तर पर जांच टीम गठित की जायेगी. साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए आवेदन […]

क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लेकर और सख्त होगा सिविल सर्जन कार्यालय
राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में चल रही झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें यानी फर्जी क्लिनिक और नर्सिंग होम बंद हो जायेंगे. इसके लिए सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा ब्लॉक स्तर पर जांच टीम गठित की जायेगी. साथ ही प्राइवेट प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए आवेदन करनेवाले की डॉक्टरी की डिग्री समेत सभी प्रमाण पत्रों और स्थल का भी सत्यापन किया जायेगा. सब कुछ सत्य पाये जाने पर ही आवेदक को क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट के तहत लाइसेंस जारी किया जायेगा.
रांची : प्रभात खबर ने 30 जुलाई के अंक में ‘आसानी से लाइसेंस हासिल कर लोगों की जान से खेल रहे झोलाछाप डॉक्टर’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी. सिविल सर्जन कार्यालय ने इसे गंभीरता से लिया है. मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ वीबी प्रसाद ने आदेश जारी किया है कि क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट विंग तब तक किसी आवेदक को लाइसेंस जारी नहीं करे, जब तक जांच टीम डॉक्टर की डिग्री व उसके क्लिनिक का सत्यापन कर रिपोर्ट नहीं दे देती है. वहीं, अगर जरूरत पड़ती है, तो आॅनलाइन आवेदन की प्रक्रिया में बदलाव के लिए साइट में भी कुछ संशोधन किये जा सकते हैं.
सिविल सर्जन ने रांची के सभी ब्लॉक के चिकित्सा प्रभारियों को निर्देश भी जारी किया है. कहा है कि चिकित्सा प्रभारी यह सुनिश्चित करें कि उनके क्षेत्र में क्लिनिक व नर्सिंग होम का संचालन नियमानुसार ही हो.
यह भी देखें कि संबंधित डॉक्टर की डिग्री और अन्य सभी दस्तावेज सत्य हों. इसके लिए क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट विंग चिकित्सा प्रभारियों को उनके क्षेत्र में पंजीकृत क्लिनिक व नर्सिंग होम की सूची भेजेगा. इसके अलावा समय-समय पर 20-20 क्लिनिक व नर्सिंग होम की जांच करते रहने का आदेश भी जारी किया गया है.
आयुर्वेद और होमियोपैथी पद्धति में भी हैं झोलाछाप डॉक्टर
झोलाछाप डाॅक्टर सिर्फ एलोपैथी पद्धति से ही नहीं इलाज करते हैं, बल्कि आयुर्वेद और होमियोपैथी पद्धति में भी इलाज करते हैं. आयुर्वेद के एक डॉक्टर ने बताया कि ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों से हमलोग परेशान हैं. जब मरीज गंभीर हो जाता है, तो अंत में पंजीकृत डॉक्टरों के पास पहुंचते है, लेकिन तब तक बहुत देर हो जाती है.
हम ऐसी व्यवस्था तैयार कर रहे हैं, जिससे झोलाछाप डॉक्टरों को लाइसेंस ही नहीं मिले. आवेदक की डिग्री की जांच की जायेगी. इसके बाद ही लाइसेंस जारी किया जायेगा. ब्लॉक स्तर पर जांच का जिम्मा चिकित्सा प्रभारियों को दिया जा रहा है. शीघ्र ही ऐसे झोलाछाप डॉक्टर चिह्नित किये जायेंगे.
डॉ वीबी प्रसाद, सिविल सर्जन, रांची
कुछ दिन लेते हैं प्रशिक्षण और
बन जाते हैं झाेलाछाप डॉक्टर
राजधानी में बेखौफ क्लिनिक व नर्सिंग होम खोलने वाले ये झोलाछाप डॉक्टर बड़े अस्पताल में कुछ दिन काम कर प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं.
डॉक्टर व नर्स के साथ रहते-रहते वह बीमारी का लाइन ऑफ ट्रीटमेंट जान लेते हैं, लेकिन जानकारी पूरी नहीं एकत्र पाते हैं. नतीजा यह होता है कि मेडिकल साइंस की ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण गंभीर बीमारी का इलाज करके वह फंस जाते हैं. हालांकि जिस अस्पताल में वह प्रशिक्षण लेते हैं, मरीज की गंभीर अवस्था में पहुंचने पर वहां रेफर भी कर देते हैं.

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