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मौत का कुआं! कुआं बनवाने में कर्ज में डूब चुके हैं पतरातू गांव के दो दर्जन से ज्यादा किसान
तौफिक लखन महतो की मौत के सदमे से आज तक नहीं उबर पाया है उसका गांव रांची/मांडर : चान्हो प्रखंड का पतरातू गांव आज भी लखन महतो की मौत के सदमे से नहीं उबर पाया है. दरअसल, यहां मनरेगा के तहत कूप बनवाने वाले किसानों को आज तक बकाया पैसा नहीं मिला है. अकेले इसी […]
तौफिक
लखन महतो की मौत के सदमे से आज तक नहीं उबर पाया है उसका गांव
रांची/मांडर : चान्हो प्रखंड का पतरातू गांव आज भी लखन महतो की मौत के सदमे से नहीं उबर पाया है. दरअसल, यहां मनरेगा के तहत कूप बनवाने वाले किसानों को आज तक बकाया पैसा नहीं मिला है. अकेले इसी गांव में 26 लोगों का मनरेगा का पैसा (हर किसान के डेढ़ लाख रुपये) बकाया है.
हालांकि, प्रखंड ने जिला प्रशासन से किसानों के लिए मैटेरियल मद के बकाया राशि की मांग की है, जो आज तक नहीं मिली. बकाया भुगतान के लिए यहां के किसान धरना भी दे चुके हैं, लेकिन चान्हों बीडीओ ने मद में पैसा नहीं होने की बात कह कर भुगतान में असमर्थता जता दी थी.
लखन महतो के अलावा पतरातू गांव में जगदीप महतो, मुरारी महतो, प्रयाग महतो, कृष्णा महतो, रामदास महतो, दिलेश्वर महतो व देवेंद्र उरांव सहित दो दर्जन से अधिक लाभुक ऐसे हैं, जिनका कुएं का निर्माण पूरा हो जाने के बावजूद अब तक पूरी राशि का भुगतान नहीं हुआ है.
किसान प्रयाग महतो बताते हैं कि उनके कूप का निर्माण पूरा हो गया है, लेकिन बकाये का भुगतान आज तक नहीं हुआ है. वे प्रखंड मुख्यालय के चक्कर काट रहे हैं. वहीं, मैनो देवी के खेत में 3.54 लाख रुपये की लागत से कुएं बना, जिसमें मजदूरी पर 1.60 लाख रुपये खर्च हुए. करीब 1.94 लाख रुपये सामग्री के लिए मिलना बाकी है. रामदास महतो की भी यही स्थिति है. इधर, चान्हो बीडीओ संतोष कुमार ने भी स्वीकार किया कि मनरेगा मद में राशि के अभाव में प्रखंड में करीब 300 किसानों की बकाया राशि का भुगतान नहीं हो पाया है.
10 जून को डीडीसी और 27 जुलाई को डीसी ने मांगी राशि : रांची जिले के किसानों को मनरेगा के तहत सिंचाई कूप में सामग्री मद में भुगतान करने के लिए उप विकास आयुक्त ने मनरेगा आयुक्त को 10 जून को ही चिट्ठी लिखी है. 27 जुलाई को उपायुक्त राय महिमापत रे ने भी मनरेगा आयुक्त को चिट्ठी लिखकर राशि देने का आग्रह किया है. कहा कि रांची में 800 या उससे अधिक मानव दिवस वाले कुओं की संख्या 2317 है. इसके लिए राशि की जरूरत है.
लखन के परिजनों से मिले बाबूलाल व बंधु
पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी सोमवार को बंधु तिर्की के साथ पतरातू गांव पहुंचे. यहां उन्होंने स्व लखन महतो की पत्नी बिमला देवी, पुत्र सूरज कुमार और ग्रामीणों से घटना की जानकारी ली.
यहां श्री मरांडी ने कहा कि किसान को जब सरकारी कुआं मिलता है, तो वह इस उम्मीद में इधर-उधर से कर्ज लेकर उसे पूरा कर देता है कि जब पैसा मिल जायेगा, तो वह सबका कर्ज लौटा देगा. लेकिन जब पैसा नहीं मिलता है और चारों तरफ से तगादा शुरू हो जाता है, तो आदमी परेशान हो जाता है. ऐसी स्थिति में वह कुछ भी करने को तैयार हो जाता है. ऐसा ही कुछ लखन महतो के साथ भी हुआ है. जिस पदाधिकारी ने लापरवाही की है, उसपर कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही जो बचे किसान हैं, उनका अविलंब भुगतान होना चाहिए.
केंद्र से नहीं मिला है फंड
रांची : लखन महतो के मामले को लेकर मनरेगा कार्यालय की ओर से कहा गया है कि इस संबंध में चान्हो बीडीअो से बात की गयी है. बीडीअो ने बताया है कि बरसात के कारण 22 जुलाई तक कूप निर्माण पूरा करना था.
लखन ने कूप निर्माण पूरा कर 23 जुलाई को पार्ट बिल जमा किया था. लखन को सामग्री का 50 हजार और मजदूरी का 1.41 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. शेष भुगतान अभी प्रक्रिया में है. इसलिए बिल जमा करने के छह दिन के अंदर ही घटना हो जाना अप्रत्याशित है. मनरेगा कार्यालय के अनुसार लोकसभा चुनाव के कारण केंद्र से निर्माण सामग्री मद का फंड राज्य को नहीं मिला है.
पैसे आने वाले हैं. राज्य सरकार ने इस मद में बकाये के मद्देनजर अपने फंड से निर्माण सामग्री के लिए 100 करोड़ रुपये दिये हैं. एेसा नहीं करने पर बकाया अौर अधिक होता. कहा गया है कि मजदूरी मद में बकाया नहीं के बराबर है. अब मजदूरी के लिए फंड ट्रांसफर अॉर्डर जारी होने सहित भुगतान की अन्य प्रक्रिया अॉनलाइन व रियल टाइम है.
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