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झारखंड में चार साल में 21% बढ़ी है सिंचाई की क्षमता

रांची : जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस ने दावा किया है कि राज्य में करीब 37 फीसदी खेतों में सिंचाई सुविधा हो गयी है. चार साल पहले 16 फीसदी थी. राष्ट्रीय औसत करीब 67 फीसदी है. राज्य सरकार का प्रयास है कि जल्द हम राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच सकें. चार साल में जल संसाधन […]

रांची : जल संसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस ने दावा किया है कि राज्य में करीब 37 फीसदी खेतों में सिंचाई सुविधा हो गयी है. चार साल पहले 16 फीसदी थी.
राष्ट्रीय औसत करीब 67 फीसदी है. राज्य सरकार का प्रयास है कि जल्द हम राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच सकें. चार साल में जल संसाधन विभाग ने कई मध्यम और वृहद योजनाओं को पूरा किया है. श्री सहिस बुधवार को सूचना भवन में जल संसाधन विभाग की चार साल की उपलब्धि प्रेसवार्ता में बता रहे थे. उन्होंने बताया कि 2015 में 91323 हेक्टेयर में मध्यम और वृहद सिंचाई योजना से सिंचाई हो रही थी, जो अब 210720 हेक्टेयर हो गयी है. 2020 तक पौने तीन लाख हेक्टेयर में वृहद सिंचाई योजना विकसित करने का लक्ष्य है.
आठ जलाशयों में सिंचाई लायक पानी नहीं
मंत्री ने बताया कि राज्य में 54 डैम हैं. इसमें से 46 में जरूरत भर पानी है. शेष आठ जलाशयों में सिंचाई लायक पानी नहीं है. इसमें लोहरदगा की नंदनी, खूंटी का लतरातू, चतरा का बक्सा और बरही, कोडरमा-गिरिडीह का पचफेरा, पलामू का धनकई और गढ़वा का बिगनडूबा डैम शामिल है.
मंत्री ने बताया कि सेंट्रल वाटर कमीशन ने राज्य की 26 परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी है. इसका डीपीआर तैयार कराया जा रहा है. इसके पूरा होने से दो लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की क्षमता विकसित होगी. अमानत बराज डैम में करीब 370 हेक्टेयर भूमि का अर्जन हो चुका है. करीब 91.46 हेक्टेयर भूमि अर्जन नहीं होने के कारण काम रुका हुआ है.

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