रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ‘आयुष्मान भारत याेजना’ के तहत भर्ती मरीजों काे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों के परिजन योजना के तहत बना गोल्डेन कार्ड लेकर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें जरूरी दवाएं और सर्जरी के लिए इंप्लांट मुहैया नहीं कराये जा रहे हैं. बीते एक हफ्ते में इस योजना के तहत रिम्स में भर्ती दो मरीजों की दवा के अभाव में मौत हो चुकी है. ऐसे में अन्य मरीजों के परिजन भी सशंकित हैं.
जानकारी के अनुसार रिम्स के विभिन्न वार्डों में हर वक्त 1300 से ज्यादा मरीज भर्ती रहते हैं. इनमें 400 से ज्यादा मरीज आयुष्मान भारत योजना के तहत भर्ती रहते हैं. इनके परिजन यूनिट इंचार्ज और जूनियर डॉक्टरों के पीछे-पीछे आयुष्मान कार्ड लेकर घूमते रहते हैं. लेकिन, जरूरी दवाओं का अभाव में इन मरीजों को भी बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं. जबकि ये लोग आर्थिक रूप से काफी कमजोर होते हैं.
हड्डी, न्यूरो, सर्जरी और कार्डियोलाॅजी में सबसे ज्यादा परेशानी : आयुष्मान भारत योजना को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी हड्डी, न्यूरो, सर्जरी और कार्डियोलाॅजी विभाग में हो रही है. मरीजों को ऑपरेशन के लिए इंतजार करना पड़ता है.
मरीजों को उपकरण और महंगी दवाओं का इंडेट कराने के लिए कई सप्ताह अधिकारियों के कार्यालय में चक्कर लगाना पड़ रहा है. कार्डियोलॉजी में स्टेंट और पेसमेकर के लिए विभागीय अनुमति का इंतजार करना पड़ता है. कई मरीज भगवान के भरोसे हैं. अगर उनका सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो उनकी मौत भी हो सकती है.
ये हाल है!
- दवाओं और जरूरी उपकरण के लिए डॉक्टरों और अधिकारियों के पीछे घूमते रहते हैं परिजन
- समय पर दवाओं व उपकरणों का इंडेंट नहीं होने के कारण परिजन बाहर से खरीद कर लाते हैं
- 1300 से ज्यादा मरीज हर वक्त भर्ती रहते हैं रिम्स के विभिन्न वार्डों में
- 400 मरीज आयुष्मान भारत योजना के होते हैं कुल मरीजों में शामिल
केस स्टडी-1
रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती एक महिला का ऑपरेशन होना है, लेकिन अभी ऑपरेशन की तिथि नहीं मिली है. वह करीब एक माह से न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती है. महिला के परिजन ने बताया कि हर दिन बाहर की दवा खरीद कर लाते हैं. उनके पास गोल्डेन कार्ड भी है, इसके बावजूद बाहर से दवा मंगायी जाती है.