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मुख्यमंत्री ने की घोषणा, शहीद के आश्रित को नौकरी व 10 लाख

रांची : नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में गुरुवार को शहीद हुए सीमा सुरक्षा बल के जवान इसरार खान के परिजन को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है. श्री दास ने जवान के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का भी एलान किया है. इसरार छत्तीसगढ़ के […]

रांची : नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में गुरुवार को शहीद हुए सीमा सुरक्षा बल के जवान इसरार खान के परिजन को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है.

श्री दास ने जवान के एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का भी एलान किया है. इसरार छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर स्थित माहला के जंगल में मुठभेड़ में शहीद हो गये थे.
रघुवर दास ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘उग्रवादी मुठभेड़ में झारखंड के वीर सपूत इसरार खान की शहादत पर हर प्रदेशवासी को गर्व है.
इस दुख की घड़ी में झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता उनके परिजनों के साथ है. सरकारी नीति के मुताबिक शहीद इसरार के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तथा एक आश्रित को सरकारी नौकरी मिलेगी.’
इधर, शहीद जवान के धनबाद जिले के तिसरा थाना क्षेत्र के साउथ गोलकडीह स्थित घर पर शुक्रवार को सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा. आज दोपहर एसडीएम राज महेश्वरम, डीएसपी प्रमोद कुमार केसरी, झरिया इंस्पेक्टर रणधीर कुमार, तिसरा थानेदार शाहवीर उरांव आदि परिजन से मिलने पहुंचे. एसडीएम ने ढांढ़स बंधाते हुए परिजन को हरसंभव मदद की बात कही.
कहा कि शहीद को मुआवजा देने का जो प्रावधान है, वह सरकार से मिलेगा. उन्होंने परिजनों को ढांढ़स बंधाते हुए कहा कि पूरा देश शहीद के परिवार के साथ खड़ा है. शहीद की मां ने एसडीएम से कहा कि सरकार उसके बेटे इशरार के सपने को पूरा करे.
शहीद के छोटे भाई पिंटू उर्फ इरफान खान को शीघ्र नौकरी दे. कहा कि अब कोई भी उसका बेटा फौज में नहीं जायेगा. राज्य सरकार शहीद के परिवार को उचित मुआवजा दे. इसके बाद एसडीएम ने उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया.
सीमा की बजाय नक्सली क्षेत्र में ड्यूटी लगाने पर सवाल : शहीद इसरार के पिता आजाद खान ने पत्रकारों से कहा कि उनके पुत्र ने सीमा की सुरक्षा के लिए बीएसएफ ज्वाइन किया था, ताकि आतंकवाद व दुश्मनों के खिलाफ लड़ सके. उन्हें इस बात का दुख है कि अपने ही देश में छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में वह शहीद हो गया.
इसरार ने बीएसएफ के इलेक्ट्रिकल विभाग में ड्यूटी देने की मांग की थी. अगर ऐसा होता, तो आज उनका सपूत जीवित रहता. उन्होंने बीएसएफ जवानों को बॉर्डर की जगह नक्सली क्षेत्रों में लगाने पर सवाल उठाये.

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