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सिर्फ झारखंड के एकलव्य व आश्रम विद्यालय चल रहे एनजीओ के भरोसे

संजय रांची : झारखंड देश का अकेला राज्य है, जहां कल्याण विभाग के तहत चलनेवाले एकलव्य और आश्रम विद्यालयों का संचालन गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीअो) के माध्यम से हो रहा है. इन विद्यालयों के बेहतर संचालन के लिए झारखंड एकलव्य व अाश्रम विद्यालय सोसाइटी को मंजूरी नहीं मिल रही है. विभागीय सचिव की अध्यक्षता में, […]

संजय
रांची : झारखंड देश का अकेला राज्य है, जहां कल्याण विभाग के तहत चलनेवाले एकलव्य और आश्रम विद्यालयों का संचालन गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीअो) के माध्यम से हो रहा है. इन विद्यालयों के बेहतर संचालन के लिए झारखंड एकलव्य व अाश्रम विद्यालय सोसाइटी को मंजूरी नहीं मिल रही है.
विभागीय सचिव की अध्यक्षता में, आदिवासी कल्याण आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों वाली इस सोसाइटी की फाइल गत कई माह से कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी के पास लंबित है. विभागीय सूत्रों के अनुसार दो-तीन बार इस फाइल के कुछ बिंदुअों पर जानकारी मांगी गयी, जो दे दी गयी. फिर भी इसकी सहमति नहीं मिल रही है.
दरअसल, देश के जनजातीय आबादी वाले सभी राज्यों में एकलव्य व आश्रम विद्यालय का संचालन सोसाइटी के माध्यम से ही हो रहा है. पर झारखंड में यह होना बाकी है. गौरतलब है कि राज्य में 11 आश्रम तथा सात एकलव्य विद्यालय हैं. प्रति आश्रम विद्यालय 200 बच्चे तथा प्रति एकलव्य विद्यालय 480 बच्चे पढ़ने की व्यवस्था है. इस तरह सभी आश्रम विद्यालयों में 2200 तथा एकलव्य विद्यालयों में 3360 बच्चे पढ़ रहे हैं. इन सभी 5560 बच्चों के लिए सरकार गैर सरकारी संस्थाओं को प्रति विद्यार्थी 60 हजार रुपये देती है. इस तरह इन विद्यालयों के संचालन के लिए एनजीअो को प्रति वर्ष करीब 33.36 करोड़ रुपये दिया जा रहा है.
बच्चों के लिए पोशाक व किताब सहित कुछ अन्य खर्च सरकार वहन करती है. वहीं, बच्चों के भोजन तथा शिक्षकों का वेतन व अन्य खर्च एनजीअो वहन करते हैं.
भ्रमण कर बनी थी रिपोर्ट : एकलव्य व आश्रम विद्यालय का संचालन और बेहतर तरीके से करने के लिए कल्याण विभाग ने एक टीम ओड़िशा व छत्तीसगढ़ भेजी थी. इस टीम ने सात से 12 अप्रैल 2018 तक उक्त दोनों राज्यों के कुल आठ विद्यालयों का दौरा किया था. इसकी रिपोर्ट में दोनों राज्यों में सोसाइटी के माध्यम से संचालित एकलव्य व आश्रम आवासीय विद्यालयों की स्थिति बहुत बेहतर बतायी गयी थी. इसके साथ ही यहां उपलब्ध सुविधाओं तथा विद्यालय संचालन की प्रक्रिया को झारखंड में भी लागू करने की अनुशंसा की गयी थी.
क्या है एकलव्य व आश्रम विद्यालय : आश्रम विद्यालय में छठी से दसवीं, जबकि एकलव्य में छठी से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. दोनों स्कूलों को बनाने का खर्च केंद्र सरकार देती है. एकलव्य के लिए संचालन खर्च भी केंद्र से मिलता है. जबकि, आश्रम विद्यालयों का संचालन राज्य सरकार करती है.

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