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रांची : सिरा सिरिस्ता तीर्थ 10 से कई राज्यों से पहुंचेंगे लोग

रांची : कुड़ुख (उरांव) समुदाय का पवित्र सिरा सिरिस्ता तीर्थ 10 फरवरी से शुरू होगा. कई राज्यों के कुड़ुख भाषी तीर्थ करने यहां पहुंचेंगे. यह बातें गुरुवार को मोरहाबादी स्थित संगम गार्डेन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा केंद्रीय समिति के राष्ट्रीय धर्मगुरु जयपाल उरांव और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष नारायण […]

रांची : कुड़ुख (उरांव) समुदाय का पवित्र सिरा सिरिस्ता तीर्थ 10 फरवरी से शुरू होगा. कई राज्यों के कुड़ुख भाषी तीर्थ करने यहां पहुंचेंगे.
यह बातें गुरुवार को मोरहाबादी स्थित संगम गार्डेन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा केंद्रीय समिति के राष्ट्रीय धर्मगुरु जयपाल उरांव और आदिवासी महासभा के अध्यक्ष नारायण उरांव ने संयुक्त रूप से कही. दोनों ने बताया कि इसमें लाखों की संख्या में कई राज्यों के आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
ओड़िशा, छत्तीसगढ़, बिहार, बंगाल, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों के लोग शामिल होते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी मान्यता है कि मानव सृष्टि के बाद जब मनुष्यों में पाप बढ़ा, तो धर्मेश ने मानव को संतुलन में लाने के लिए अग्नि वर्षा की और धरती जलने लगी.
उस वक्त धर्मेश ने मानव सृष्टि की रक्षा के लिए दो युवा नर-नारी की रक्षा की थी और इन्हें सिरा सिरिस्ता के ककड़ों लाता में छिपाकर रखा. उन्होंने कहा कि मान्यता के अनुसार तीर्थ के दर्शन से मन को शांति मिलती है, अनिष्टकारी शक्ति का क्षय होता है.
राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा व आदिवासी महासभा प्रत्येक वर्ष आह्वान करती है कि हजारों की संख्या में आदिवासी दर्शन के लिए आयें. इस अवसर पर देवकुमार धान, जलेश्वर उरांव, बिरसा उरांव, प्रवीण उरांव, वीरेंद्र भगत, रायमुनी उरांव, गैना कच्छप, सोमदेव उरांव, कुलदेव उरांव, बुधवा उरांव सहित कई उपस्थित थे.

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